अपकमिंग चंद्रयान मिशन की लैंडिंग भी होगी चंद्रयान-3 की तरह, जानें पूरी जानकारी
Chandrayaan 4 : भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद इसके अगले भाग की तैयारी प्रारम्भ कर दी है। प्रोजेक्ट जिसे चंद्रयान-4 बोला जा रहा है, उसका मकसद चांद से मिट्टी के सैंपलों को वापस पृथ्वी पर लाना है। यदि हिंदुस्तान अपने मिशन में सफल होता है, तो दुनिया के उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो जाएगा, जो दूसरे ग्रहों और उपग्रहों से सैंपल पृथ्वी पर लाने के लिए काम कर रहे हैं। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर (SAC) के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, नीलेश ने बोला कि अपकमिंग चंद्रयान मिशन की लैंडिंग भी चंद्रयान-3 की तरह होगी। हालांकि उसका केंद्रीय मॉड्यूल, चांद की परिक्रमा करने वाले मॉड्यूल के साथ उतरने के बाद वापस आ जाएगा। साथ ही री-एंट्री मॉड्यूल, चंद्रमा की मिट्टी के सैंपलों के साथ लौट आएगा।
नीलेश ने मिशन से जुड़ी अहम जानकारी देते हुए बोला कि अगले 5 से 7 वर्ष में हम चांद की सतह से सैंपल कलेक्ट करने की चुनौती को पूरा कर लेंगे। उन्होंने कहा कि यह मिशन चंद्रयान-3 से ज्यादा मुश्किल होगा। एक ओर जहां चंद्रयान-3 में 30 किलो का रोवर था, वहीं चंद्रयान-4 में 350 किलो का हैवी रोवर चांद की सतह पर लैंड करेगा। जिस क्षेत्र में मिशन को लैंड कराया जाएगा, उसकी खोज अभी बाकी है। यह करीब 1 किलोमीटर का दाखिल हो सकता है।
चंद्रयान-4 मिशन में दो रॉकेटों की सहायता ली जा सकती है। इससे पता चलता है कि मिशन कितना मुश्किल होने वाला है। भारतीय स्पेस एजेंसी ने जापान की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर भी एक मून मिशन को लॉन्च करने की योजना बनाई है। इस पर काम किया जा रहा है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने हिंदुस्तान को अंतरिक्ष की दुनिया में नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत दुनिया का पहला राष्ट्र है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना मिशन लैंड कराया है। हम दुनिया के चौथे राष्ट्र बने हैं, जिनका मिशन चांद पर उतरा है। <!–
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