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इंफाल में दो छात्रों के अपहरण और हत्या के विरोध में हजारों छात्रों ने निकाली रैलियां

इंफाल: मणिपुर (Manipur) की राजधानी इंफाल में दो विद्यार्थियों के किडनैपिंग और मर्डर के विरोध में बुधवार को लगातार दूसरे दिन हजारों विद्यार्थियों ने शहर के केंद्र की ओर कूच करते हुए रैलियां निकाली जानकारी दें कि, राजधानी इंफाल के सिंगजामेई क्षेत्र में मंगलवार रात विद्यार्थियों और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) कर्मियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 45 प्रदर्शनकारी घायल हो गए इसके बाद आज यानी बुधवार 27 सितंबर से सुबह क्षेत्र में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण रही वहीं अब मणिपुर में हालात बिगड़ते देख, राज्य की बिरेन गवर्नमेंट ने  पूरे राज्य को एक बार फिर ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया है

इसके साथ ही कुकी समुदाय के शीर्ष संगठन ‘इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) की स्त्री इकाई ने मणिपुर में करीब पांच महीने से जारी जातीय अत्याचार के दौरान आदिवासी स्त्रियों से बलात्कार और मर्डर मुद्दे की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देने में विलंब के विरुद्ध चुराचांदपुर में प्रदर्शन किया इंफाल घाटी में प्रदर्शन और अत्याचार की संभावना को देखते हुए मणिपुर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ के कर्मियों को तैनात किया गया है

एक विद्यार्थी नेता थोकचोम खोगेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘हम साथी विद्यार्थियों के किडनैपिंग तथा मर्डर के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और हमने सभी से विरोध स्वरूप काले बैज पहनने को बोला है” विभिन्न स्थानों से मार्च कर रहे युवकों और युवतियों को नारे लगाते हुए देखा गया उनमें से कई ने जुलाई में लापता हुए दो विद्यार्थियों की मर्डर के विरोध में तख्तियां और उनके शवों की फोटोज़ ली हुई थी जो हाल में सोशल मीडिया पर सामने आयी थीं पुलिस ऑफिसरों ने कहा कि वे ‘‘स्थिति पर नजर रख रहे हैं” वहीं, आईटीएलएफ की स्त्री इकाई की संयोजक मैरी जोन ने पूछा कि कुकी स्त्रियों की मर्डर और बलात्कार की जांच प्रारम्भ क्यों नहीं की गयी है

उन्होंने कहा, ‘‘यह रैली उन दो युवाओं की मर्डर मुद्दे में CBI की त्वरित कार्रवाई के विरुद्ध है जो एक-दूसरे से प्यार करते थे और घर से भाग गए थे आदिवासी स्त्रियों से दुष्कर्म, उनकी निर्वस्त्र परेड कराने और हमारे मर्दों की मर्डर की कई घटनाएं हुई लेकिन कोई CBI जांच नहीं करायी गयी

मैरी जोन ने कहा, ‘‘हमारे विरुद्ध यह पक्षपात क्यों है? हम आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार की घटनाओं की CBI जांच की मांग करते हैं” यह रैली लमका पब्लिक ग्राउंड से प्रारम्भ हुई और तिपईमुख रोड तथा आई बी रोड से गुजरते हुए ‘वॉल ऑफ रिमेम्ब्रेंस’ तक पहुंची जहां जातीय अत्याचार में मारे गए लोगों के डमी ताबूत रखे हुए थे छह जुलाई से लापता दो विद्यार्थियों की मर्डर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे क्षेत्रीय लोगों और आरएएफ कर्मियों के बीच मंगलवार रात को झड़प हो गयी जिसके बाद कानून प्रवर्तन ऑफिसरों को प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, लाठीचार्ज करना पड़ा और रबड़ की गोलियां चलानी पड़ी जिसमें 45 लोग घायल हो गए घायलों में ज्यादातर विद्यार्थी हैं

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने बोला कि सीआरपीएफ/आरएएफ ने प्रदर्शनकारियों से निपटते समय जातिवादी टिप्पणियां करने से इनकार किया है यह स्पष्टीकरण एक वीडियो के सोशल मीडिया पर आने के बाद आया है जिसमें आरएएफ के एक कर्मी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, ‘‘यह हमारी जाति नहीं है, कुछ भी करो

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस वीडियो की आलोचना की है पुलिस ने मंगलवार रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘व्हाट्सएप समूहों/ट्विटर पर आए एक वीडियो में आरएएफ कर्मियों को हिंसक भीड़ से निपटते समय जातिवादी टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया है क्लिप में सुनायी दे रही आवाज आरएएफ कर्मियों की नहीं है ऐसा लगता है कि वीडियो बनाने वाले आदमी ने आरएएफ बलों की छवि बिगाड़ने के लिए अपनी आवाज में जानबूझकर जातिवादी टिप्पणियां रिकॉर्ड की

पुलिस ने कहा, “यह कथित वीडियो आरएएफ कर्मियों को बदनाम तथा हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है जो पूरे सरेंडर और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं” पुलिस ने कहा, ‘‘आरएएफ कर्मी कानून एवं प्रबंध की स्थिति बनाए रखने के लिए इंफाल के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात तैनात हैं आरएएफ कर्मी न्यूनतम बल प्रयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं

राज्य गवर्नमेंट ने बुधवार को विद्यालयों में अवकाश घोषित किया है लेकिन इंफाल के कुछ संस्थानों के विद्यार्थियों ने अपने विद्यालय में एकत्रित होने का आह्वान किया झड़पों के बाद राज्य गवर्नमेंट ने किसी भी तरह की भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए एक अक्टूबर को रात सात बजकर 45 मिनट तक इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया राज्य में तीन मई को भड़की जातीय अत्याचार के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी और चार महीने से अधिक समय बाद इसे हटाया गया था

राज्य गवर्नमेंट ने कानून एवं प्रबंध की स्थिति के मद्देनजर सभी विद्यालयों में 27 और 29 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है 28 सितंबर को पैगंबर मोहम्मद की जयंती ईद-ए-मिलाद के अवसर पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश है अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय अत्याचार भड़क गई थी

हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं मणिपुर की जनसंख्या में मेइती समुदाय के लोगों की जनसंख्या लगभग 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की जनसंख्या करीब 40 फीसदी है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं

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