सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक फैसले को विश्व हिंदू परिषद ने बताया स्वागत योग्य
सुप्रीम न्यायालय ने आज अपने एक निर्णय में समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने बोला कि ये विधायिका का अधिकार क्षेत्र है। न्यायालय की संविधान पीठ 3-2 से ये निर्णय सुनाया। सेम संभोग मैरिज पर निर्णय सुनाते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बोला कि उच्चतम न्यायालय विशेष शादी अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकता। उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय को विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत योग्य बताया।
“संसद को निर्णय लेना चाहिए”
दरअसल, समलैंगिक शादी के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मुहिम चलाई थी। इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद का बोलना है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है। विश्व हिंदू परिषद ने बोला कि आम जनता की राय लेकर संसद को इस पर निर्णय लेना चाहिए और कोई कानून बनना चाहिए। उन्होंने बोला कि पहले कमेटी आम जनता की राय और उसके विचार को जाने। आम जनता का जो विचार हो उसी के हिसाब से यह निर्णय लिया जाए।
“विरोध बहुत पहले से कर रहे हैं”
यह बात विश्व हिंदू परिषद के महाराष्ट्र और गोवा के क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेंडे ने कही। उन्होंने बोला कि इसका वह विरोध बहुत पहले से कर रहे हैं। प्रदर्शन इसके विरुद्ध बहुत समय से करते आ रहे हैं। समलैंगिकता में शादी नहीं होना चाहिए। आज का फैसला विश्व हिंदू परिषद की बात पर मुहर लगने जैसा है।
“समलैंगिक शादियां समाज में मान्य नहीं”
गोविंद शेंडे ने बोला कि दत्तक नहीं लेने के संबंध में भी जो न्यायालय ने बोला है वह स्वागत योग्य है। विश्व हिंदू परिषद जल्द ही इस पर बैठक लेकर अनेक सांसदों से भी संपर्क करेगा कि वह आम जनता की राय लिए बिना कोई भी फैसला इस पर ना रखें, क्योंकि यह अप्राकृतिक संबंध है। विश्व हिंदू परिषद का बोलना है कि समलैंगिक शादियां समाज में मान्य नहीं हैं, इसे अनैतिक मानी जाती है, इसलिए भी विश्व परिषद इसका विरोध कर रही है।