11 जिलों की 10 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में वोटिंग
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में अप्रैल और मई में पारा 45 डिग्री को पार कर जाता है। हालांकि, यहां चुनावी तपिश मार्च से ही बढ़ गयी है। पहले और दूसरे चरण के चुनाव में जिन लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें विदर्भ की भी 10 सीटें हैं। विदर्भ में बीजेपी के लिए जहां प्रतिष्ठा का चुनाव है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी के सामने खोई साख वापस पाने की चुनौती है।
विदर्भ में शिव सेना और बीजेपी हैं मजबूत
पिछले दो चुनावों में विदर्भ की जनता ने बीजेपी और अविभाजित शिवसेना पर भरोसा किया था। पूर्वी विदर्भ में भाजपा, तो पश्चिम में शिवसेना ने अपनी मजबूत पकड़ बनायी है। 10 लोकसभा सीटों और 62 विधानसभा क्षेत्रों वाला विदर्भ क्षेत्र 2024 के चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी एमवीए गठबंधन के सियासी भविष्य का इतिहास लिखेगा। 1960 से लेकर 2009 तक पूरा विदर्भ कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ रहा था।
शिव सेना और एनसीपी के लिए इस बार सरल नहीं विदर्भ
आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई थी, उस समय भी विदर्भ की जनता ने सभी सीटें इंदिया गांधी को भेंट की थीं। अब, विभाजित शिवसेना और दोफाड़ हुई एनसीपी के लिए विदर्भ का रण सरल नहीं रह गया है। विदर्भ यानी पूर्व महाराष्ट्र के 11 जिलों का क्षेत्र। इस क्षेत्र में लोकसभा की 10 सीटें हैं।
Also Read : अर्जुन मुंडा ने खरसावां में लोगों से किया संवाद, बोले- खूंटी की खासियत को दुनिया तक पहुंचाया
विदर्भ की इन 5 सीटों पर 19 अप्रैल को होगा मतदान
इनमें से पांच नागपुर, रामटेक, चंद्रपुर, गोंदिया-भंडारा और गढ़चिरौली सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। दूसरे चरण में 26 अप्रैल को अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल-वाशिम और बुलढाणा सीट पर मतदान होगा। इस बार नतीजों किसके खाते में किस अनुपात में आयेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
29 सीटें ही जीत सकी बीजेपी विधानसभा चुनाव में
2019 के विधानसभा चुनावों में विदर्भ की कुल 62 सीटों में से बीजेपी ने 29, अविभाजित शिवसेना ने चार, एनसीपी ने छह, कांग्रेस पार्टी ने 15 और अन्य ने आठ सीटें जीती थीं। हालांकि, 2014 में बीजेपी ने 44 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की था। 15 विधानासभा सीट खोने के चलते लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए चिंता कायम है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपने काम का भरोसा
नागपुर विदर्भ का प्रमुख शहर है, जहां ‘हाईवे मैन’ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी ने नागपुर दक्षिण के विधायक और कांग्रेस पार्टी जिलाध्यक्ष विकास ठाकरे को मैदान में उतार कर कड़े मुकाबले की लकीर खींच दी है।
भाजपा ने मुनगंटीवार पर लगाया दांव
वहीं, पड़ोस की चंद्रपुर सीट पर पिछली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहिर की हार के बाद बीजेपी ने राज्य के तेज-तर्रार मंत्री सुधीर मुनगंटीवार पर दांव लगाया है। कांग्रेस पार्टी ने दिवंगत बालू धानोरकर की पत्नी प्रतिमा को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। नागपुर के पास की ही रामटेक सीट पर कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार दिया है।
इन सीटों पर भी है भिड़न्त की संभावना
महायुति में यह सीट शिवसेना (शिंदे गुट) के पास है। कांग्रेस पार्टी विधायक राजू पारवे के शिंदे गुट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। पारवे ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी और विधायक पद से त्याग-पत्र दिया। भंडारा-गोंदिया और गढ़चिरौली-चिमूर सीट पर भी महाविकास आघाड़ी और महायुति के उम्मीदवारों के बीच भिड़न्त की आसार है।