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शराब घोटाले की सुनवाई करते हुए क्या बोली सुप्रीम कोर्ट…

नई दिल्ली: सुप्रीम न्यायालय ने आज मंगलवार (7 मई) को दिल्ली शराब भ्रष्टाचार मुद्दे के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके विरुद्ध दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में कारावास में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का संकेत दिया. हालाँकि, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अभी तक कोई आदेश पारित नहीं किया लेकिन बोला कि यदि अंतरिम जमानत दी जाती है, तो केजरीवाल को सीएम के रूप में कोई आधिकारिक कर्तव्य नहीं निभाना चाहिए. बेंच ने इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है और 9 मई को इसपर आदेश देने की आसार है.

सुप्रीम न्यायालय ने मुद्दे की सुनवाई करते हुए बोला कि, “मान लीजिए कि हम चुनाव के कारण अंतरिम जमानत देते हैं. फिर यदि आप कहते हैं कि आप कार्यालय में भाग लेंगे, तो इसका व्यापक असर हो सकता है. डॉ सिंघवी यदि हम कोई अंतरिम जमानत देते हैं तो हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें, क्योंकि कहीं न कहीं ऐसा होगा, लेकिन हम गवर्नमेंट के कामकाज में एकदम भी हस्तक्षेप नहीं चाहते.” हालाँकि, उसी साँस में, कोर्ट ने यह भी बोला कि, “आइए देखें कि क्या अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या नहीं.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने अंतरिम जमानत की याचिका का जोरदार विरोध किया. मेहता ने बोला कि, “कृपया किसी सियासी नेता को एक अलग वर्ग के रूप में चिह्नित न करें और उन्हें आम आदमी से अलग न होकर ना देखें. ऐसा बोला जा रहा है कि 1.5 वर्ष में (ED द्वारा) कुछ नहीं किया गया और केजरीवाल को चुनाव के दौरान उठाया गया. यह एकदम भी ठीक धारणा नहीं है. केजरीवाल को 9 बार समन भेजे गए, लेकिन वो हर बार टालते रहे और समन को ही गैरकानूनी बताते रहे. राजनेताओं के लिए अलग कानून नहीं हो सकता.” SG तुषार मेहता ने बल देकर बोला कि केवल इसलिए उन्हें रिहा करना, क्योंकि वह एक राजनेता हैं, एक ठीक मिसाल नहीं है.

SG ने पूछा कि, “उन्होंने बिना किसी विभाग के सीएम बनना चुना और यह कुछ लोगों को समायोजित करने के लिए किया गया है. यदि जमानत की अनुमति दी जाती है, तो क्या याचिका की अनुमति होने पर यह अपरिवर्तनीय नहीं होगा.” न्यायमूर्ति खन्ना ने उत्तर दिया, “नहीं, नहीं, अपरिवर्तनीय नहीं.न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को उनके विरुद्ध एक मुद्दे में शीर्ष न्यायालय ने राहत दी थी. न्यायमूर्ति दत्ता ने बोला कि, “यह अर्नब गोस्वामी के मुद्दे में हुआ. बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी.” SG ने बोला कि चुनाव का हवाला देकर केजरीवाल को बाहर करने से एक बुरी मिसाल कायम होगी और अन्य लोग भी इसी तरह की छूट मांगेंगे.

उन्होंने कहा, “अदालत सिर्फ़ इस एक आदमी को बाहर निकालने के लिए आकस्मिकताओं के दरवाजे खोलने की अनुमति दे रही है और यदि कोई किराना मालिक आता है, तो सरकारी वकील कभी भी बहस नहीं कर पाएगा. मुझे पता है कि ये असुविधाजनक तर्क हैं.” हालाँकि, कोर्ट ने बोला कि वह राजनेताओं के लिए कोई विशेष छूट नहीं दे रहा है, बल्कि सिर्फ़ इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करने पर विचार कर रहा है कि आम चुनाव होने वाले हैं.

सुप्रीम न्यायालय ने बोला कि, “हम इस पर नहीं जा रहे हैं कि वह एक राजनेता है या नहीं. इसमें शामिल प्रत्येक आदमी के साथ एक विशेष हालात या मुद्दा जुड़ा होगा. हमें यह देखना होगा कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए वह आदमी उस विशेष हालात के भीतर आता है या नहीं. हम यह नहीं कह रहे हैं, दूसरों के लिए एक अलग कानून है और राजनेता के लिए अलग.वैसे आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, इसलिए उसने बोला कि मुद्दे की सुनवाई 9 मई या अगले सप्ताह फिर से की जाएगी.

पीठ केजरीवाल द्वारा दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा मुद्दे में उनकी याचिका खारिज करने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) नेता ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. वहीं, दूसरी तरफ ट्रायल न्यायालय ने केजरीवाल की हिरासत बढाकर 20 मई कर दी है.

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