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क्या है महिला आरक्षण बिल, 1996 से अब तक क्या हुआ…

महिला आरक्षण बिल: देश में स्त्री आरक्षण बिल पर जोरदार बहस चल रही है सत्ता पक्ष और विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी इसका श्रेय लेने के लिए बयानबाजी करती नजर आ रही है सोनिया गांधी ने साफ बोला है कि ये हमारा अपना बिल है

सत्ता पक्ष के नेता इसका श्रेय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को देते नजर आ रहे हैं आइए जानते हैं क्या है स्त्री आरक्षण बिल? कांग्रेस राज में भाजपा राज में अब तक क्या हुआ…

महिला आरक्षण विधेयक क्या है?

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में स्त्रियों के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव है हालाँकि, इस 33 फीसदी कोटे में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों के लिए आरक्षित करने का भी उल्लेख किया गया है

विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को घुमाया जाना चाहिए आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित किया जा सकता है पिछले वर्ष दिसंबर में गवर्नमेंट द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में स्त्री सांसदों की संख्या अभी 78 है, जो कुल सांसदों की संख्या का 15 प्रतिशत है साथ ही राज्यसभा में 14 प्रतिशत स्त्री सांसद हैं

1996 से अब तक क्या हुआ

  • महिला आरक्षण बिल 1996 से अटका हुआ है
  • एचडी देवेगौड़ा गवर्नमेंट ने 12 सितंबर 1996 को संसद में विधेयक पेश किया लेकिन उस समय यह पारित नहीं हो सका
  • फिर अटल बिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट ने 1998 में इसे लोकसभा में पेश किया लेकिन कई दलों के विरोध के कारण यह दोबारा पारित नहीं हो सका
  • वाजपेयी गवर्नमेंट ने भी 1999, 2002 और 2003-2004 में इसे पारित कराने की प्रयास की थी लेकिन विरोध के कारण इसे रोक दिया गया
  • इसके बाद यूपीए गवर्नमेंट ने 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन बिल के रूप में राज्यसभा में पेश किया, जहां 9 मार्च 2010 को यह बिल भारी बहुमत से पारित हो गया, बीजेपी, वाम दलों और जेडीयू ने बिल का समर्थन किया
  • इसके बाद विपक्ष के बल पकड़ने पर यूपीए गवर्नमेंट इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं कर सकी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने इसका विरोध किया, जिसके बाद डर के कारण कांग्रेस पार्टी इसे लोकसभा में पेश नहीं कर सकी
  • 2014 में लोकसभा भंग होने के बाद बिल स्वत: ही समाप्त हो गया लेकिन राज्यसभा एक स्थायी सदन है इसलिए वहां बिल अभी भी वैध है

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