इस पूर्व पहलवान को मिली अहम जिम्मेदारी
ओलंपिक में जाने से चूक गए थे नरसिंह
नरसिंह सिंह 2016 रियो ओलंपिक में स्थान बनाने से आखिरी क्षणों में चूक गए थे. दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार उस समय चोटिल होने के कारण क्वालीफिकेशन इवेंट में नहीं खेल पाए थे और उन्होंने नरसिंह के विरुद्ध ट्रायल की मांग की थी. सुशील ने इसके लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उनकी अपील खारिज होने के बाद यह तय हो गया था कि नरसिंह ओलंपिक में हिंदुस्तान का अगुवाई करेंगे. हालांकि इन खेलों से ठीक पहले नरसिंह दो बार डोप टेस्ट में फेल हो गए थे खेल पंचाट ने उन पर इसके लिए चार वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि राष्ट्रीय डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने नरसिंह को क्लीन चिट दी थी. खेल पंचाट का फैसला उनकी ओपनिंग बाउट से पहले आया था जिस कारण नरसिंह को बिना खेले ही ओलंपिक से हटना पड़ा था. नरसिंह पर लगा प्रतिबंध जुलाई 2020 में खत्म हो गया था और उन्होंने बोला था कि षड्यंत्र के अनुसार यह सब किया गया था.
पैनल में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व
नरसिंह के अतिरिक्त डब्ल्यूएफआई के एथलीट पैनल में शामिल अन्य छह सदस्य हैं. इस पैनल में विभिन्न राज्यों का अगुवाई है क्योंकि इसमें कई राज्यों के लोग शामिल हैं. नरसिंह के अतिरिक्त पैनल में साहिल (दिल्ली), स्मिता एएस (केरल), भारती भागेही (उत्तर प्रदेश), खुशबू ए। पवार (गुजरात), निक्की (हरियाणा) और स्वेता दुबे (बंगाल) शामिल हैं.
यूडबल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई का निलंबन हटाया था
खेल मंत्रालय ने दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित किया था, लेकिन खेल की अंतरराष्ट्रीय संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भारतीय कुश्ती महासंघ की सदस्यता बहाल की थी. इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बड़ा फैसला लेते हुए डब्ल्यूएफआई का दैनिक कार्य संभाल रही तदर्थ समिति को भंग करने का निर्णय किया था. संजय सिंह डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बने थे, लेकिन खेल मंत्रालय ने खेल संहिता के नियमों का उल्लंघन करने का हवाला देकर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति को निलंबित किया था.