अयोध्या की राजकुमारी ने अपने सपनों के राजकुमार की तलाश में की 4500 किलोमीटर समुद्र की यात्रा
अयोध्या: प्रभु राम की नगरी अयोध्या से जुड़ी अनेक कहानी आपने सुनी होगी. इनमें से एक दिलचस्प कहानी श्री राम की नगरी के विदेश से नाते को लेकर भी मशहूर है. बोला जाता है कि उस राष्ट्र के लोग आज भी प्रभु राम की नगरी अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं. और यह मान्यता भी पूरे 2000 वर्ष से चली आ रही है. इसी मान्यता को निभाने के लिए उस राष्ट्र के लोग आज भी अयोध्या आते रहते हैं. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कैसे अयोध्या की राजकुमारी अपने सपनों के राजकुमार की तलाश में 4500 किलोमीटर समुद्र की यात्रा की.
दरअसल, बात 2000 वर्ष पहले की है जब अयोध्या की एक राजकुमारी जिसका नाम सूरी रत्ना था. 16 वर्ष की उम्र में अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना ने समुद्र के रास्ते लगभग 4500 किलोमीटर तक अपने सपनों के राजकुमार की तलाश को लेकर दक्षिण कोरिया पहुंची. जब दक्षिण कोरिया अयोध्या की राजकुमारी पहुंची, तो वहां उन्होंने कोरिया के राजा किमसुरो से विवाह कर ली. इसके बाद अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना को रानी ह्यो ह्वांग-ओके के नाम से जाना जाने लगा. इतिहासकार के मुताबिक, यही वजह है कि आज दक्षिण कोरिया के लगभग 60 लाख से अधिक लोग प्रभु राम की नगरी अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं | इतना ही नहीं, वर्ष 2019 में राजकुमारी सूर्य रत्ना की याद में हिंदुस्तान और कोरिया ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया. इसके अतिरिक्त प्रभु राम की नगरी अयोध्या में राजकुमारी की याद में एक पार्क का निर्माण भी सरयू तट के किनारे किया गया. इसे रानी हो पार्क के नाम से जाना जाता है.
जानकारी के मुताबिक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राणा पीवी सिंह और दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी गोरखपुर के सर्वेश कुमार ने अयोध्या और कोरिया के सांस्कृतिक संबंधों पर एक रिसर्च भी की है. इसके मुताबिक चौथी सदी ईसा पूर्व में जब अयोध्या की राजकुमारी कोरिया के किंग सुरो से विवाह करने के लिए गईं. तब उनकी उम्र 16 वर्ष थी.