गेहूं के बाद अब दूसरी फसल उगाने से पहले किसान कर लें यह काम, होगा बम्पर मुनाफा
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल की वजह से मृदा स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। किसान अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में भूमि में ताबड़तोड़ रासायनिक दवाओं और उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उपजाऊ मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी भी हो रही है। किसान बिना जांच कराए ही अपनी जमीन में उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण है कि किसान हर 6 महीने बाद अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं।
राजकीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष राहुल कुमार ने कहा कि गेहूं की फसल काटने के बाद महत्वपूर्ण है कि मिट्टी की जांच कराई जाए ताकि मिट्टी में उपस्थित तत्वों के बारे में पता चल सके। बिना जांच कराए किसान कई बार वह उर्वरक भी मिट्टी में डाल देते हैं। जिनकी मिट्टी को जरूरत ही नहीं होती या फिर वह मिट्टी में पहले से ही उपस्थित होते हैं।
खेत से मिट्टी का नमूना कैसे लें
राहुल ने कहा कि जिस खेत से मिट्टी का सैंपल इकट्ठा करना है वहां 8 से 10 स्थान पर 6 इंच लंबा, 4 इंच चौड़ा और 6 इंच गहरा गड्ढा कर लें। उसके बाद खुरपी की सहायता से गड्ढे की दीवार से लगभग 2.5 सेंटीमीटर की परत ऊपर से नीचे तक काट कर अलग कर लें। फिर भिन्न भिन्न स्थान से इकट्ठी की गई मिट्टी को साफ कपड़े में अच्छी तरह से मिला लें। उसके बाद इस मिट्टी का ढेर बनाकर उसको चार भागों में बांट लें। आमने-सामने के दो भाग की मिट्टी अलग निकालकर फिर अच्छी तरह से मिलाएं और फिर से ढेर बनाकर उसी प्रक्रिया को दोहराएं। यह प्रक्रिया तब तक करते रहें जब तक मिटटी आधा किलो रह जाए। उसके बाद मिट्टी को साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला में भेज दें।
मिट्टी के नमूने को कैसे प्रयोगशाला भेजें
प्रयोगशाला भेजते समय मिट्टी की थैली के ऊपर कृषक अपना नाम, गांव का नाम, खेत की पहचान, खसरा संख्या, विकासखंड और तहसील का नाम अवश्य लिख दें। इसके अतिरिक्त किसान इस थैली पर यह भी लिखकर बता दें कि अब खेत में अगली फसल कौन सी ली जानी है। ताकि उसी आधार पर अगली फसल के लिए उर्वरक की जरूरी मात्रा बताई जा सके।
नमूने लेते समय बरतें सावधानी
वैज्ञानिकों का बोलना है कि मिट्टी का सैंपल लेते समय ध्यान रखें कि खेत में अधिक नमी न हो, फिर भी यदि मिट्टी में नमी है, तो उसको छाया में रखकर सुखा लें। जल्द से जल्द प्रयोगशाला भेज दें ताकि परफेक्ट नतीजे लिए जा सकें। नमूना लेते समय यह भी ध्यान रखें कि जहां से आप सैंपल ले रहे हैं वहां आसपास में पेड़, सिंचाई वाली नाली, खाद के गड्ढे या फिर फसल खड़ी ना हो।
जांच में चौकाने वाले आए थे नतीजे
आपको बता दें कि साल 2022-23 में किए गए मृदा परीक्षण में चौंकाने वाले रिज़ल्ट सामने आए थे। मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन में भारी गिरावट देखने को मिली थी। मृदा परीक्षण के दौरान ऑर्गेनिक कार्बन 0.3 फीसदी निकाला जबकि ऑर्गेनिक कार्बन 0.2 फीसदी से लेकर 0.8 फीसदी तक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त यहां मिट्टी में फॉस्फेट, पोटाश, सल्फर, जिंक, लोहा, कॉपर और मैगनीज की भी भारी कमी पाई गई थी।