जूना अखाड़े ने अनुसूचित जाति के महामंडलेश्वर महेन्द्र नंद गिरी को जगतगुरु की पदवी की प्रदान
प्रयागराज। राष्ट्र में मतांतरण रोकने और सनातन धर्म का असर बढ़ाने की दिशा में जूना अखाड़ा लगातार काम कर रहा है। इसी कड़ी में जूना अखाड़े ने अनुसूचित जाति के महामंडलेश्वर महेन्द्र नंद गिरी को जगतगुरु की पदवी प्रदान की है। वे अनुसूचित जाति के पहले जगतगुरु बनाए हैं। वही महेंद्रानंद के शिष्य कैलाशानंद गिरि को जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर और रामगिरी को श्री महंत की पदवी प्रदान की है। यह दोनों महात्मा भी अनुसूचित जाति के हैं।
सभी अनुसूचित जाति के महात्माओं का पट्टाभिषेक जूना अखाड़े के सिद्ध बाबा मौज गिरी आश्रम में मंत्रोच्चार के बीच किया गया। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज, जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय सभापति श्री महंत प्रेम गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर के साथ ही जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरी और महामंडलेश्वर डॉ वैभव गिरी ने उपाधि धारण करने वाले महात्माओं को फूल माला पहनाकर कार्यक्रम को संपन्न कराया। महेंद्रानंद और कैलाशानंद को सिंहासन पर आसीन करके उन्हें छत्र और चंवर भी भेंट किया गया।
गौरतलब है कि सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने और सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए जूना अखाड़े ने दलित संत स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरी को 25 अप्रैल 2018 को पहला दलित महामंडलेश्वर बनाया था। सनातन के 13 अखाड़े में जूना अखाड़ा ही ऐसा अखाड़ा है जो लगातार दलित संतों को जगतगुरु और महामंडलेश्वर के साथ ही श्री महंत की पदवी प्रदान कर रहा है। 2019 के कुंभ से पहले भी जूना अखाड़े ने ही किन्नर अखाड़े को भी अपने साथ जोड़ते हुए मान्यता प्रदान की थी।