उत्तर प्रदेश

मायावती ने बढ़ाईं अखिलेश यादव की टेंशन, कन्नौज से बसपा नेता को बनाया प्रत्याशी

लोकसभा चुनाव के लिए बीएसपी प्रमुख मायावती ने कन्नौज से भी प्रत्याशी का घोषणा कर दिया है कन्नौज से अकील अहमद को बीएसपी का प्रत्याशी बनाया गया है अकील लंबे समय तक समाजवादी पार्टी में रहे हैं अखिलेश यादव के भी कन्नौज से उतरने की चर्चा है ऐसे में अकील के आने से अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं बीजेपी ने यहां से पहले ही सुब्रत पाठक को प्रत्याशी घोषित कर दिया है बीएसपी ने अब तक चार प्रत्याशियों का घोषणा किया है सभी मुसलमान समुदाय से आते हैं ऐसे में साफ है कि मायावती के निशाने पर सपा-कांग्रेस गठबंधन है आईएमआईएएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पहले ही अखिलेश यादव और उनके परिवार वालों के विरुद्ध प्रत्याशी उतराने का घोषणा कर चुके हैं

रसूलाबाद कस्बा निवासी अकील अहमद पहले सियासी रूप से समाजवादी पार्टी के नेता रहे हैं रसूलाबाद क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ थी रसूलाबाद ग्राम पंचायत होने पर उनकी पत्नी सुल्ताना बेगम एक बार प्रधान रह चुकी हैं पिछले नगर निकाय चुनाव में सीट अनुसूचित आरक्षित होने पर उन्होंने समाजवादी पार्टी से अपनी करीबी राजरानी के लिये टिकट मांगा था टिकट न मिलने पर उन्होंने राजरानी को निर्दलीय चुनाव लड़ाया और जितवा दिया था इसके बाद से वह बीएसपी के संपर्क में थे अब लोकसभा का टिकट पाने में सफल हो गए हैं ऐसे में समाजवादी पार्टी के कोर वोटरों को अपने पाले में करने की जुगत में अब जुटे हैं

इससे पहले बीएसपी पीलीभीत से पूर्व मंत्री अनील अहमद खां फूल बाबू, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन और मुरादाबाद से इरफान सैफी को मैदान में उतार चुकी है सभी मुसलमान प्रत्याशी उतारने को मायावती की खास रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है पिछले विधानसभा चुनाव में भी मायावती ने मुसलमान समुदाय को बड़ी संख्या में टिकट दिया था लेकिन उसका लाभ नहीं हो सका था हालांकि इससे समाजवादी पार्टी को भारी हानि हुआ था

मुस्लिम वोटों को ही एकजुट रखने के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था इसका सबसे अधिक लाभ भी बीएसपी को ही हुआ था बीएसपी ने उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर जीत हासिल की थी समाजवादी पार्टी सिर्फ़ पांच सीटें ही जीत सकी थी हालांकि अब बीएसपी के दस में से चार सांसद दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं अन्य भी कोई और ठिकाना तलाश रहे हैं उन्हें लगता है कि सिर्फ़ अकेले लड़ने से जीत हासिल नहीं हो सकती है उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव में भी मायावती ने मुसलमान कार्ड खेला था लेकिन उसका कोई लाभ प्रत्याशियों को नहीं मिला था

मायावती के मुसलमान प्रत्याशी देने से बीएसपी को भले ही कोई लाभ नहीं हुआ लेकिन इसका हानि समाजवादी पार्टी को जरूर हुआ था आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को सिर्फ़ इसलिए हार का सामना करना पड़ा था आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी करीब डेढ़ लाख वोटों से हार गई थी यहां बीएसपी के मुसलमान प्रत्याशी ने ढाई लाख से अधिक वोट हासिल किए थे इसी तरह विधानसभा की दर्जनों ऐसी सीटें हैं जहां समाजवादी पार्टी को बीएसपी ने चोट पहुंचाई थी

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