उत्तर प्रदेश

ब्रज का कण-कण भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का साक्षी

 ब्रज का कण-कण ईश्वर श्री कृष्ण की लीलाओं का साक्षी है यहां आज भी कई ऐसे स्थल और मंदिर हैं, जहां कान्हा की लीलाओं के साक्षात प्रमाण उपस्थित हैं ऐसा ही एक जगह है तुलसी राम दर्शन स्थल मान्यता है कि यहां ईश्वर कृष्ण ने गोस्वामी तुलसीदास को राम रूप में दर्शन दिए थे

यह ऐतिहासिक स्थल वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी क्षेत्र में है मंदिर सेवायत सावत्री मिश्रा ने कहा कि करीब 500 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास ब्रज यात्रा करते हुए वृंदावन आए तो उन्होंने देखा कि यहां हर स्थान केवल राधा-कृष्ण की गूंज है उन्हें लगा कि शायद यहां के लोगों में ईश्वर राम के प्रति उतनी भक्ति नहीं है, जितनी अन्य जगहों पर है

 

दोहा हुआ प्रचलित
आगे कहा कि तब यहां के संत भी तुलसीदास को अपने इष्ट ईश्वर राम को नमन करने की बजाय श्रीकृष्ण को प्रणाम करने को लेकर ताने देने लगे तब गोस्वामी तुलसीदास ज्ञान गुदड़ी स्थित इस कृष्ण मंदिर में आए और उन्होंने ईश्वर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि वह उन्हें राम रूप में दर्शन दें अपने भक्त की इस ख़्वाहिश को श्रीकृष्ण ने स्वीकार किया और धनुष-बाण हाथ में लेकर गोस्वामी जी को राम रूप में दर्शन दिए, तभी से एक दोहा भी प्रचलित हुआ…

कित मुरली कित चंद्रिका, कित गोपिन को साथ,
अपने जन के कारणे, श्रीकृष्ण भये रघुनाथ

वो कुटिया आज भी मौजूद
साथ ही यह ब्रज का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां ईश्वर कृष्ण राम के स्वरूप में धनुष बाण लिए दर्शन दे रहे हैं इस स्थल के पास ही आज भी वह कुटिया उपस्थित है, जहां तुलसीदास ने वृंदावन में आकर निवास किया था

मिलते हैं साक्षात प्रमाण
वृंदावन अध्ययन संस्थान के अध्ययन अधिकारी डाक्टर राजेश वर्मा ने कहा कि तुलसीदास की भक्ति पर प्रभु के धनुष बाण हाथ में लेने का उल्लेख उनकी गोवर्धन यात्रा के दौरान मिलता है तुलसीदास ने रामचरितमानस को संवत 1631 में लिखना प्रारंभ किया था इससे तीन साल पहले यानी संवत् 1628 में वह वृंदावन आए थे, जिसका प्रमाण उनके द्वारा रचित कृष्ण पदावली में मिल जाता है

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