उत्तर प्रदेश

पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम को ठहराया गया दोषी

पूर्वांचल के बाहुबली और जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. मंगलवार को एमपी-एमएलए न्यायालय में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम को गुनेहगार ठहराया गया है. आइए जानते हैं बाहुबली धनंजय सिंह से जुड़ी कुछ खास बातें…

पूर्व सांसद धनंजय सिंह की कहानी एकदम फिल्मी है. पुलिस ने एक बार इन्हें मुठभेड़ में मारने का दावा किया था. बाद में धनंजय ने विधानसभा से लेकर संसद तक का यात्रा तय किया. इस बीच धनंजय के विरुद्ध हत्या, रंगदारी, किडनैपिंग जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज होते रहे.

जौनपुर जिले के बनसफा में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से विद्यार्थी राजनीति की आरंभ की. इसके बाद लखनऊ विश्विद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी विद्यार्थी राजनीति को धार दी. लखनऊ विश्विद्यालय में ही बाहुबली अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी जैसे मुकदमों में नाम आने की वजह से धनंजय सुर्खियों में रहे. 1998 तक धनंजय का नाम लखनऊ से लेकर पूर्वांचल तक जरायम जगत में सुर्खियों में आ चुका था और उन पर पुलिस की ओर से 50 हजार का पुरस्कार घोषित हो चुका था.

अक्टूबर 1998 में पुलिस ने कहा कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य लुटेरों के साथ भदोही-मिर्जापुर रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे. पुलिस ने दावा किया कि एनकाउंटर में धनंजय सहित चारों लुटेरे मारे गए हैं. हालांकि धनंजय जिंदा थे और भूमिगत हो गए थे. फरवरी 1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश हुए तो भदोही की फर्जी मुठभेड़ का भंडाफोड़ हुआ. धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच प्रारम्भ की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिसवालों पर मुकदमे दर्ज हुए.

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