काशी में धधकती चिताओं के बीच खेली गई भस्म से होली
राष्ट्र के सबसे प्राचीन शहर काशी में रंगभरी एकादशी पर अनोखी और अद्भुत चिता भस्म की होली खेली गई. वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट (श्मशान घाट) पर आयोजित इस चिता भस्म की होली में पुरुष -युवतियों को टोली के साथ विदेश सैलानी जमकर झूमे. ईश्वर शिव के गण के रूप में निकली टोली खास आकर्षण का केंद्र रहा, जिसे देखने के लिए काशी की सड़कों के साथ गंगा घाट पर लाखों की संख्या में लोग उपस्थित रहे. इस अनोखी होली को हर कोई अपने कैमरे में कैद करता रहा, तो वही धधकती चिताओं के बीच भस्म से देव रूपी कलाकार होली के रंग में रंगे नजर आए.काशी नगरी में स्थित बाबा कीनाराम आश्रम से देवी – देवता के साथ ईश्वर शिव के गण का रूप धारण किए कलाकारों की टोली हरिश्चंद्र घाट के लिए रवाना हुई. करीब 2 किलोमीटर के इस रास्ते में भक्ति गीतों पर झूमते नाचते हुए कलाकारों के साथ युवाओं की टोली श्मशान घाट पहुंची.
हरिश्चंद्र घाट पर बाबा मोहन नाथ का आशीर्वाद लेकर कलाकार और युवाओं की टोली जलती हुई चिताओं के पास पहुंचे और चिताओं के राख से होली खेली. युवाओं की टोली में वाराणसी के अतिरिक्त बीएचयू, विद्यापीठ यूनिवर्सिटी के साथ राष्ट्र के विभिन्न राज्यों से आए पुरुष -युवती शामिल रहे.
पर्यटकों को खूब लुभाया चिता भस्म की होली
श्मशान घाट में जलती हुई चिताओं के पास राख से खेले गए होली के अद्भुत नजारे को देख देशी – विदेशी पर्यटक काफी चकित रहे. दिल्ली से आए पर्यटकों की माने तो उन्होंने काशी के चिता भस्म की होली के बारे में सुना और पढ़ा है, लेकिन आज जब इसे उन्होंने अपनी आंखों से देखा तो वह काफी दंग रहे.विश्व में कही भी किसी भी श्मशान घाट में ऐसे होली खेलने का नजारा न कभी उन्होंने देखा और न ही कभी किसी से सुना है. बीएचयू की छात्राओं की माने तो वह पिछले कई वर्षो से इस होली के आयोजन में शामिल होती है, जब वह अपने घर और संबंधियों को श्मशान घाट में भस्म से होली खेलने की बात कहती, तो पहले तो कोई विश्वास ही नहीं करता कि ऐसा भी होता है.अब जब सोशल मीडिया वह तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया के जरिए देखते है, तो वह भी दंग रहते है. उल्लेखनीय है, कि काशी में चिता भस्म की होली काफी प्रसिद्ध है हरिश्चंद्र घाट पर रंगभरी एकादशी के दिन और मणिकर्णिका घाट पर एक दिन बाद जलती हुई चिताओं के बीच भस्म से खेली जाती है.