उत्तर प्रदेश

18 जनवरी को ही गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे श्रीरामलला और 16 जनवरी से शुरू होगी पूजन विधि

22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से प्रारम्भ हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में यह बातें सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताईं उन्होंने ये भी कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, गवर्नर आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज मौजूद रहेंगे

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए चंपत राय ने कहा कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी उन्होंने कहा कि पूजन विधि 16 जनवरी से प्रारम्भ होकर 21 जनवरी तक चलेगी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम जरूरी गतिविधियां आयोजित होंगी उन्होंने कहा कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठ होनी है वो पत्थर की है उसका वजन अनुमानित 150 से 200 किलो के बीच होगा यह 5 साल के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है

श्रीविग्रह की अधिवास के बाद होगी प्राण प्रतिष्ठा

चंपत राय ने कहा कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होती है उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है इसे पूजा पद्यति में अधिवास कहते हैं इसके अनुसार प्राण प्रतिष्ठा की जाने वाली प्रतिमा का जल में निवास, अन्न में निवास, फल में निवास, औषधि में निवास, घी में निवास, शैय्या निवास, सुगंध निवास समेत अनेक प्रकार के निवास कराए जाते हैं यह बहुत मुश्किल प्रक्रिया है जानकारों ने बोला है कि आज के समय के मुताबिक व्यवहार करना चाहिए यह मुश्किल प्रक्रिया है इसलिए धर्माचार्यों के कहे मुताबिक ही प्रक्रिया संपन्न की जाएगी

हर परंपरा, विद्या और मत से जुड़े लोगों को किया गया आमंत्रित

चंपत राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी, जनजातीय परंपराओं के संत महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान में जितने प्रकार की विधाएं हैं चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक हो, सैनिक हो, प्रशासन हो, पुलिस हो, राजदूत हो, न्यायपालिका हो, लेखक हो, साहित्यकार हो, कलाकार हो, चित्रकार हो, मूर्तिकार हो, जिस विद्या को भी आप सोच सकते हैं, उसके श्रेष्ठजन आमंत्रित किए गए हैं मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव,शाक्य, गणपति उपासक, सिख,बौध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं सभी दर्शन, कबीर, वाल्मीकि, आसाम से शंकर देव की परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग मौजूद रहेंगे

माता सीता के मायके समेत कई स्थानों से आ रही भेंट

उन्होंने कहा कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण, अनेक स्थानों का जल आया है अनेक लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं हमारे समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है इसमें अन्न हैं, फल हैं, वस्त्र हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है इसी तरह सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं यही नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर आए हैं

20-21 जनवरी को बंद रहेंगे दर्शन

उन्होंने कहा कि 20-21 जनवरी को श्रीराम लला के दर्शन बंद किए जाने पर विचार चल रहा है ईश्वर का दर्शन, पूजन, आरती, भोग, शयन, जागरण पुजारी कराएंगे और अंदर जितने लोग रहते हैं वो मौजूद रहेंगे अभी 25 से 30 हजार श्रद्धालु रोजाना आते हैं वो 20-21 जनवरी को ईश्वर के दर्शन नहीं कर सकेंगे, ताकि अंदर की व्यवस्थाओं को आसानी से पूर्ण किया जा सके 23 से नए विग्रह का दर्शन आम जनमानस के लिए खोल दिया जाएगा

मंदिर प्रांगण में 8 हजार लोग जुटेंगे

चंपत राय ने बोला कि हमने मंदिर प्रांगण में 8 हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे राष्ट्र भर में 22 जनवरी को लोग अपने-अपने मंदिरों में स्वच्छता और भजन, पूजन कीर्तन में हिस्सा लेंगे प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद लोग शंख बजाएं, प्रसाद वितरण करें अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचना चाहिए हमारे आयोजन मंदिर केंद्रित होने चाहिए सायंकाल सूर्यास्त के बाद घर के बाहरी दरवाजे पर 5 दीपक प्रभु की प्रसन्नता के लिए अवश्य जलाएं

श्रीरामलला की वर्तमान मूर्ति भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में होगी स्थापित 

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उस प्रश्न का भी उत्तर दे दिया, जिसका सभी को बेताबी से प्रतीक्षा था अयोध्या में वर्तमान में ईश्वर श्रीरामलला की मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उन्हें भी नए मंदिर के गर्भ गृह में ही स्थापित किया जाएगा और नयी प्रतिमा के साथ-साथ उनकी भी एक समान पूजा अर्चना की जाएगी गौरतलब है कि बहुत से लोग जानना चाहते थे कि गर्भ गृह में श्रीरामलला की नयी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वर्तमान में जिस मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उसका क्या होगा सोमवार को इन सभी प्रश्नों का उत्तर मिल गया

70 वर्ष से हो रही है पूजा

चंपत राय ने कहा कि ईश्वर की वर्तमान प्रतिमाएं जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 वर्ष (1950 से) से चली आ रही है, वो भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही मौजूद रहेंगी उन्होंने कहा कि जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है, वैसी ही 22 जनवरी से भी अनवरत की जाएगी उन्होंने ये भी कहा कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला की नयी प्रतिमा को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे मालूम हो कि वर्तमान में जिस मंदिर में श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला अपने तीनों भाइयों के संग विराजमान हैं

चंपत राय ने की मैसूर के अरुण योगीराज की एकाग्रता की सराहना

श्रीरामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार ने प्रतिमा बनाने के दौरान कार्य में खलल न पड़े, इसके लिए महीनों अपने परिजनों से वार्ता तक नहीं की यहां तक की बच्चों की सूरत भी नहीं देखी उनकी एकाग्रता की मिसाल सोमवार को चंपत राय ने सभी के समक्ष रखी उन्होंने कहा कि प्रतिमा का निर्माण करने वाले मैसूर के निवासी अरुण योगीराज ने मूर्ति निर्माण कार्य के दौरान जिस तरह से जीवन व्यतीत किया है शायद आप सोच भी नहीं सकते कार्य के दौरान महीनों तक टेलीफोन को हाथ तक नहीं लगाया अपने बच्चों और परिजनों तक से बात नहीं की उन्होंने कहा कि अरुण योगीराज अनेक पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण के कार्य से जुड़े हैं उनके पूर्वज भी यही काम करते आ रहे हैं जानकारी के मुताबिक केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा उन्होंने ही बनाई है दिल्ली में इण्डिया गेट के नीचे सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी उन्होंने ही बनाई है श्रीरामलला की मूर्ति चयन की प्रक्रिया में उन्हीं की मूर्ति का चयन किया गया सभी ट्रस्टीज ने उनकी मूर्ति की प्रशंसा की है

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