उत्तर प्रदेश

सपा ने दिए दस कुर्मी प्रत्याशियों को टिकट

सपा ने लोकसभा के राजनीतिक समर में इस बार पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समीकरण में कुर्मियों को खास तवज्जो दी है. बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा सबसे अधिक कुर्मी समाज के प्रत्याशियों को मैदान में उतारने से सबक लेते हुए समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने इस चुनाव में कुर्मी समाज के प्रत्याशियों को बड़े पैमाने पर टिकट देकर मैदान में उतारा है. वहीं बीएसपी भी पीछे नहीं है और उसने 9 कुर्मी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. हालांकि बीजेपी भी कुर्मी वोटबैंक को पाले में बनाए रखने की कवायद में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी कुर्मी समाज से प्रत्याशी उतारने में सबसे आगे नज़र आ रही है. समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 10, बीजेपी ने 6 और बीएसपी ने 9 कुर्मी प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.

समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से ही पार्टी ने कुर्मी समाज को तवज्जो दी. पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के करीबी मित्र रहे बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी में कुर्मियों के बड़े चेहरे के रूप में रहे. कुर्मियों के कई बड़े नेताओं को मुलायम सिंह ने राजनीति में भागीदारी दी. जैसे अंबेडकरनगर के राममूर्ति वर्मा और बस्ती के राम प्रसाद चौधरी कुर्मियों के बड़े समाजवादी पार्टी नेता हैं. अखिलेश यादव ने ‘पीडीए’ की रणनीति के अनुसार ओबीसी समुदाय को तवज्जो देने का निर्णय किया है. दरअसल, इसके पीछे समाजवादी पार्टी की रणनीति यह रही है कि यादव, मुसलमान के साथ करीब 9 प्रतिशत कुर्मी समाज के जुड़ने से समाजवादी पार्टी की सीटों का गणित कारगर हो सकता है.

शायद यही वजह है कि इस चुनाव में सपा ने सबसे अधिक 10 कुर्मी प्रत्याशियों को टिकट दिया है. इसमें बरेली से भगवत शरण गंगवार, लखीमपुर से उत्कर्ष वर्मा, बस्ती से राम प्रसाद चौधरी, अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा, प्रतापगढ़ से एसपी सिंह, श्रावस्ती से रामशिरोमणि वर्मा, गोंडा से श्रेया वर्मा, बांदा से रविशंकर पटेल, फतेहपुर से समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, कुशीनगर से अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार प्रमुख हैं.
भाजपा ने उतारे छह कुर्मी प्रत्याशी, विधानसभा में जीते 22 कुर्मी नेता
भाजपा द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए प्रत्याशियों में महज़ छह कुर्मी समाज से हैं. इनमें सीतापुर से राजेश वर्मा, धौरहरा से रेखा वर्मा, बरेली से छत्रपाल गंगवार, फूलपुर से प्रवीण पटेल, बांदा से आरके सिंह पटेल और महाराजगंज से पंकज चौधरी मैदान में हैं. यह बात दीगर है कि बीते साल 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सबसे अधिक कुर्मी प्रत्याशियों को टिकट दिए थे. इनमें से बीजेपी के सबसे अधिक 22 कुर्मी विधायक चुनाव जीत कर विधायक बने और सत्ता में भागीदारी पाई. इनमें बरेली की नवाबगंज सीट से एसपी आर्य गंगवार, पीलीभीत से संजय गंगवार, निघासन खीरी से शशांक वर्मा, हरदोई से आशीष सिंह आशू, उन्नाव बांगरमऊ से श्रीकांत कटियार प्रमुख हैं.

सपा के 13 कुर्मी विधायक साल 2022 में जीते थे
वहीं समाजवादी पार्टी के भी 13 विधायक बीते विधानसभा चुनावों में जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. इसमें प्रमुख रूप से लहरपुर सीतापुर से अनिल कुमार वर्मा, चित्रकूट सदर से अनिल प्रधान पटेल, प्रतापगढ़ से आरके वर्मा, कौशांबी सिराथू से पल्लवी पटेल प्रमुख हैं. इसी तरह अपना दल के पांच कुर्मी विधायक जीते थे. कुछ इसी रणनीतिक फायदा हासिल करने के लिए बीएसपी ने भी 9 कुर्मी प्रत्याशियों जैसे प्रयागराज से रमेश सिंह पटेल, सुलतानपुर से उदयराज वर्मा, फतेहपुर से मनीष सिंह सचान के अतिरिक्त बरेली से छोटे लाल गंगवार को उतारा था, उनका पर्चा खारिज हो गया है. देखना दिलचस्प होगा कि सपा की रणनीति सफल होगी या बीजेपी का सवर्णों के साथ ओबीसी समाज से कुर्मियों को साथ लेने का प्रयास.

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