इस मंदिर में साल में एक बार होते हैं भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है। यहां कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, उन्हीं में से एक भरत मंदिर भी है। यह मंदिर ईश्वर हृषिकेश नारायण को समर्पित है। इस क्षेत्र को उन्हीं के कारण ऋषिकेश नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह ईश्वर हृषिकेश की नगरी है और मान्यताओं के मुताबिक वह आज भी यहां विराजमान हैं।
ऋषिकेश का मशहूर भरत मंदिर
खास वार्ता में इस मंदिर के पुजारी धर्मानंद शास्त्री ने कहा कि भरत मंदिर का इतिहास स्कंद पुराण में वर्णित है। यह मंदिर ईश्वर नारायण को समर्पित है। यहां साक्षात ईश्वर विष्णु का वास है। रैभ्य मुनि ने इस क्षेत्र में घोर तप किया था। जिससे प्रसन्न होकर ईश्वर विष्णु ने उन्हें इस जगह पर दर्शन दिए थे। रैभ्य मुनि के आग्रह पर ईश्वर विष्णु हृषिकेश नाम से इस मंदिर में विराजमान हैं। हिंदू संत शंकराचार्य द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर ऋषिकेश के इस मंदिर में पीठासीन देवता की मूर्ति को पुनः स्थापित किया। जिसके बाद से हर बसंत पंचमी पर यहां भव्य जुलूस का आयोजन किया जाता है। साथ ही अक्षय तृतीया के दिन ईश्वर नारायण के चरणों के दर्शन करवाए जाते हैं, जिस वजह से इस पर्व पर भव्य आरती का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
अक्षय तृतीया पर होते हैं ईश्वर विष्णु के चरणों के दर्शन
पुजारी धर्मानंद ने कहा कि इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन विष्णु ईश्वर के चरणों के दर्शन करवाए जाते हैं, जोकि वर्ष में केवल एक बार ही देखने को मिलते हैं। जिसके बाद ही चारों धाम के कपाट खुलते हैं। इस दिन इस मंदिर में काफी भीड़ रहती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन यहां दर्शन के लिए आते हैं। वहीं माना जाता है कि जो कोई भी इस दिन इस मंदिर के दर्शन कर परिक्रमा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।