उत्तराखंड हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब, कहा…
कोर्ट ने अधिवक्ता श्रुति जोशी को इस मुद्दे में न्यायमित्र नियुक्त किया है। न्यायालय ने उनसे बोला है कि वह कारावास का निरीक्षण करें। कैदियों से मिलकर उनकी समस्याओं से न्यायालय को अवगत कराएं। जिससे कि कारावास में बंद कैदी समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण देने की प्रबंध पर सुझाव देने को बोला है। ताकि कारावास से बाहर आने के बाद वे बेहतर जीवन यापन कर सके।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति रोकश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मुद्दे की सुनवाई हुई। मुद्दे के मुताबिक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल कारावास के निरीक्षण के दौरान पाया कि 1906 में बना कारावास का भवन काफी पुराना हो चुका है जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है। कारावास में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। कारावास में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है। कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने की दिक्कतें होती है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल कारावास भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है। जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है। जिसका उच्च न्यायालय ने खुद संज्ञान लिया है।