यहां तीन रूपों में विराजमान है मां, शिव को पाने के लिए किया था कठोर तप
चमोली :उत्तराखंड के चमोली जिले में वैसे तो कई मंदिर हैं जहां भक्त अपनी मन्नतों को लेकर हमेशा ही लंबी लंबी कतारों में दिखाई देते हैं और मनौती पूरी होने पर ईश्वर को धन्यवाद अदा करने पहुंचते हैं। उन्हीं मंदिरों में से एक है मां उमा देवी मंदिर, जिले के कर्णप्रयाग में एनएच 7 के ऊपर की ओर स्थित उमा देवी मंदिर को क्षेत्रीय ‘उमा शंकरी’ मंदिर के नाम से जानते हैं। उसका कारण मां उमा का ईश्वर शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए यहां निर्जला व्रत रखकर उपासना करना था। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण आठवी सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था, वहीं कुछ विद्वान मंदिर का निर्माण इससे भी पूर्व का मानते हैं।
तीन रूपों में मंदिर में विराजमान है मां!
मंदिर के मुख्य पुजारी नरेश पुजारी बताते हैं कि उमा देवी मंदिर में मां उमा तीन रूपों में विराजमान है जिनमें से पहला रूप कन्या है। दूसरा नंदा/ पार्वती और तीसरा चंडी माई के रूप में मां उमा यहां विराजित हैं। पूरे विश्व में मां उमा नाम से यह एकमात्र मंदिर है। शिव को प्राप्त करने के लिए मां ने यहां तपस्या की थी। इसलिए इस मंदिर को उमा शंकरी मंदिर भी बोला जाता है। बताते हैं कि मां उमा शंकरी की प्रतिमा हर 12 साल में अपने जगह से बाहर लाई जाती है और वह 6 महीने के लिए अपनी ध्याणियों (मायके पक्ष की विवाहित महिलाएं) से मिलने जाती हैं। नवरात्रि के दौरान उमा देवी मंदिर परिसर में माता के भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है और यहां बद्रीनाथ जाते हुए श्रद्धालु मां के दर्शन जरूर करते हैं। वह बताते हैं कि चैत्र मास की नवरात्रि में हर वर्ष मंदिर में देवी को विशेष भोग लगता है। उस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और कामयाबी एवं खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं।