उत्तराखण्ड

फ्लैश बैक: इस चुनाव में 35 हजार मतपत्र अवैध घोषित

अल्मोड़ा में नौंवी लोकसभा के लिए 1989 में हुए चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय सीट पर गैरकानूनी मतों ने प्रत्याशियों का चुनावी गणित बनाने और बिगाड़ने का काम किया. इस चुनाव में 35 हजार मतपत्र गैरकानूनी घोषित हुए. नतीजतन पूरा चुनावी गणित बदल गया. 36 वर्ष के युवा नेता यूकेडी के कद्दावर काशी सिंह ऐरी को कांग्रेस पार्टी के हरीश रावत के हाथों केवल 10 हजार वोट से अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था, जबकि सभी को यह लग रहा था कि इस चुनाव में ऐरी बाजी मारेंगे.

1989 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी ने लगातार दो बार के सांसद हरीश रावत को मैदान में उतारा. तब पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग जोरों पर थी. इस मुहिम को 1985 में सीमांत विधानसभा क्षेत्र डीडीहाट का अगुवाई कर चुके नयी क्षेत्रीय पार्टी के युवा नेता काशी सिंह ऐरी धार दे रहे थे. तब ऐरी को यूकेडी ने लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा था.

 

यूकेडी और पार्टी के युवा नेता ऐरी को खासा जनसमर्थन मिल रहा था. गढ़वाल की सीमा से लेकर चीन और नेपाल सीमा तक लोगों की जुबान पर ऐरी का नाम था और सबको लग रहा था कि इस बार वह मैदान मार ले जाएंगे. चुनाव के बाद मतगणना हुई और 35000 मत पत्र गैरकानूनी घोषित हो गए. नतीजतन हरीश रावत को विजश्री मिली. काशी सिंह ऐरी को 10701 वोट से हार का सामना करना पड़ा और यूकेडी के चुनाव चिह्न बाघ की दहाड़ शांत हो गई. इस चुनाव में हार का सामना करने के बाद भी ऐरी पहाड़ के बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने आए.

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