उत्तराखण्ड

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  के यहां पहुंचने पर उनका किया भव्य स्वागत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  देहरादून इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का 54वां आरआर (2022-24 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम) के भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों का दीक्षांत कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचीं. वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के परिसर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में 2022-24 सत्र के 99 भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थी और मित्र राष्ट्र भूटान के दो भी प्रशिक्षु अधिकारी पासआउट होंगे.

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  के यहां पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया है. इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बोला कि विकास के दो पहिए है परंपरा और आधुनिकता. जनजाति समाज प्रकृति आधारित जीवनशैली का प्रतीक है. उनके ज्ञान के भंडार को हमने रूढ़िवादी मान लिया है. वनों के विकास का मतलब है मानव का विनाश. बोला कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल वनों के संरक्षण में हो.

वहीं गवर्नर ने पहले अपने संबोधन में बोला कि हमारा राज्य हिमालय की गोद में बसा अतुलनीय गौरव प्रदान करता है. यह जड़ी बूटियों का गढ़ है.उसे ज्ञान कौशल और मूल्यों से परिपूर्ण किया है. उन्होंने पास आउट होने वाले ऑफिसरों से बोला कि आने वाली मुश्किल चुनौतियों का सामना भी आपको अपनी क्षमताओं के साथ करना होगा.

अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन प्राप्त करें. उनके साथ योगदान करें. गवर्नर ने बोला कि क्षेत्रीय समुदायों के साथ जुड़े लोगों के साथ साझेदारी और संवाद बढ़ाए. बोला कि उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों के विषम क्षेत्र में वन अग्नि और बाढ़ जैसी

वर्तमान बैच से सबसे अधिक 15 अधिकारी मध्य प्रदेश राज्य को मिलने जा रहे हैं, जबकि उत्तराखंड को तीन ऑफिसरों की सेवाएं मिलेंगी. 1926 से यह संस्थान पहले भारतीय फॉरेस्ट कॉलेज और अब राष्ट्रीय वन अकादमी के रूप में राष्ट्र की सेवा कर रहा है. स्वतंत्र हिंदुस्तान के सभी भारतीय वन सेवा ऑफिसरों और 14 मित्र देशों के 365 वन ऑफिसरों ने अब तक इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया है.

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