उत्तराखण्ड

400 साल पुराने इस विशालकाय पीपल पेड़ को भूइंया देवता के रूप में पूजते हैं लोग, जानें यहाँ की प्रसिद्ध कहानी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के हटवालगांव खेड़ा में एक 400 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ स्थित है यह पीपल का पेड़ इतना विशालकाय है कि इसकी शाखाएं आसपास बसे घरों की छतों तक जाती हैं पुरातत्व विभाग के लोग भी समय-समय पर इसका सर्वे करते रहते हैं वहीं ग्रामीणों का बोलना है कि इस पेड़ की पूजा गांव के भूइंया देवता के रूप में की जाती है यह पेड़ गांव के प्रदीप रावत की जमीन पर है उनका बोलना है कि यह उनके देवता का पेड़ है और देवता इसे अपना जगह मानते हैं, इसलिए उन्होंने इसे कभी कटवाने की भी नहीं सोची है

बातचीत में प्रदीप रावत के पिता भारु सिंह रावत ने बोला कि उनकी उम्र 80 साल हो गई है और वह अपने देवता के इस पेड़ को बचपन से ऐसा ही देख रहे हैं यह पीपल का पेड़ उनके पूर्वजों की निशानी है और वह पीढ़ी रेट पीढ़ी इसकी देखभाल कर रहे हैं इससे पहले उनके पिता ने भी इस पेड़ की देखभाल की और इसे कभी हानि नहीं पहुंचने दिया उन्होंने बोला कि पहले गांव में इतने मकान नहीं थे लेकिन जितने भी थे, सभी इस पेड़ को देवता के रूप में मानते हैं एक बार आसपास के लोगों की कम्पलेन के बाद इस पेड़ की शाखाओं को काटने की प्रयास की गई थी, लेकिन उस दौरान एक बड़ा दुर्घटना होने से टल गया उसके बाद से इसे काटने-छांटने की कोई प्रयास नहीं करता है

IFS ऑफिसरों ने की थी मदद

मशहूर पर्यावरण प्रेमी जगदीश बावला कहते हैं कि हटवाल गांव में स्थित यह पीपल का पेड़ तकरीबन 400 से 450 वर्ष पुराना है 1984-85 के बीच यह पीपल का पेड़ पूरी तरह से एक ओर झुक गया था और इसके गिरने की नौबत आ गई थी उस दौरान उन्होंने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के योगदान से दो आईएफएस ऑफिसरों की सहायता द्वारा इस पेड़ की झुकी हुई शाखाओं को काट-छांटकर इसे पुनः जीवंत करने का काम किया था आज भी यह पेड़ सुरक्षित और सीधा खड़ा है

Related Articles

Back to top button