Election 2024: जानिए, चुनाव में किन्नरों की भूमिका और उम्मीदें
1. समाज में किन्नरों की क्या किरदार है ?
किन्नर भी आदमी हैं. सामाजिक भेदभाव से किन्नर हाशिये पर हैं. उनको तिरस्कार झेलना पड़ता है. बदलते समय के साथ कुछ लोगों का नजरिया उनके प्रति बदला है. खासकर 2021 में हरिद्वार कुंभ मेले में किन्नर अखाड़ा के शाही स्नान और पेशवाई में लोगों ने किन्नरों को बहुत करीब से देखा और समझा है. इससे लोगों में किन्नरों के प्रति भ्रांतियां कम हुई हैं. अधिकांश लोगों की सोच अभी बदलनी बाकी है.
2. गवर्नमेंट और सियासी दलों का किन्नरों के प्रति क्या नजरिया है?सुप्रीम न्यायालय ने किन्नरों को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी है. लोकतंत्र में एक आम वोटर की तरह मतदान का अधिकार मिला है. किन्नर गवर्नमेंट चुनने में अपनी किरदार निभाते हैं. कोई भी दल वोट मांगने उनके पास नहीं आता है. किन्नर सजग नागरिक की किरदार निभाते स्वयं वोट डालने जाते हैं. सरकारों की नजर में किन्नर उपेक्षित हैं. हालांकि, गवर्नमेंट ने किन्नरों को कुछ अधिकार जरूर दिए हैं, लेकिन धरातल में उनको लागू नहीं किया जाता है.