उत्तराखण्ड

Election: पूर्व मुख्यमंत्रियों का राजनीतिक भविष्य तय करेगा हरिद्वार

लोकतंत्र के महापर्व लोस चुनाव में प्रत्याशी तो जीत के लिए जीजान से लगे ही हैं, लेकिन हरिद्वार लोस सीट पर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है, क्योंकि कोई चुनावी मैदान में स्वयं डटे हैं तो किसी के कंधों पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी है. इसलिए हरिद्वार का चुनावी समर तीनों पूर्व मुख्यमंत्री का सियासी भविष्य भी तय करेगा.

 

हरिद्वार संसदीय सीट पर 14 प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि इस चुनाव में उत्तराखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री के सियासी कौशल की भी परीक्षा होनी है. इनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो स्वयं चुनावी दंगल में हैं.

दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के कंधों पर भी बीजेपी प्रत्याशी को जिताने का जिम्मा है. वह इस सीट पर लगातार दो बार सांसद रहे हैं और इस बार पार्टी ने उनकी स्थान त्रिवेंद्र को मैदान में उतारा है.

तीसरे पूर्व सीएम हरीश रावत हैं, जिनके बेटे वीरेंद्र रावत कांग्रेस पार्टी से चुनाव मैदान में हैं. पार्टी हाईकमान से बेटे के लिए टिकट लेकर आए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जिताने का भारी दबाव है.

 

 

माना जा रहा कि हरिद्वार सीट पर बीजेपी का प्रदर्शन डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक की राजनीति का आगे का रास्ता तय करेगा. उन पर त्रिवेंद्र रावत की जीत पक्की कराने का दबाव है. त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए भी पार्टी की ओर से मिले इस अवसर को हर हाल में भुनाने का दबाव है.

लंबे समय के बाद उन्हें यह अवसर मिला है और उनका प्रदर्शन उनकी भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा.पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का सियासी भविष्य भी बेटे वीरेंद्र रावत के प्रदर्शन पर टिका है. इससे ही पूर्व मुख्यमंत्री रावत का कांग्रेस पार्टी में सियासी कद तय होगा. ऐसे में तीनों मुख्यमंत्री जीतने और जिताने के लिए चुनाव में खूब पसीना बहा रहे हैं. हालांकि, अब देखना होगा कि कौन से पूर्व मुख्यमंत्री की किस्मत इस लोस चुनाव में खुलती है.

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