उत्तराखण्ड

उल्का देवी के जयकारों के साथ गूंज उठी सोरघाटी

पहाडों में चैत्र महीने का विशेष महत्व है क्योंकि पहाडों में चैत्र जिसे चैत बोला जाता है, इस महीनें में पहाड़ो में अनेकों ऐसे उत्सव देखने को मिलते हैं, जो यहां की सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए हैं, साथ ही यहां रहने वाले लोगों की देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था भी देखने को मिलती है

पहाड़ों में मान्यता है कि इस महीनें में देवी-देवता धरती पर अवतरित होते हैं, जिनका आशीर्वाद लेने मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर होते हैं आज हम पिथौरागढ़ शहर के निकट बसे गांव सेरा की बात कर रहे हैं, जहां देवी-देवताओं के प्रति पहाड़ के लोगों की आस्था का अटूट प्रमाण देखने को मिलता हैनवरात्र समाप्त होने के साथ ही सोर की भगवती के नाम से मशहूर उल्का देवी माता अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए अवतरित होती हैं जिनके दर्शन के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं सेरा गांव से माता का भव्य डोला निकाला जाता है यह परंपरा पीढ़ी रेट पीढ़ी चलती आ रही है

युवाओं ने संजोए रखी है संस्कृति
यहां के युवाओं ने पूर्वजों से चले आ रही सभ्यता को आगे बढ़ाते हुए अपनी संस्कृति को बचाये रखने के कोशिश जारी रखे हैं यहां के क्षेत्रीय निवासी सागर मेहता का बोलना है कि पीढ़ी रेट पीढ़ी गांव के रीति-रिवाज सभी निभाते आए हैं, आने वाली पीढ़ी भी इसे बचाये रखे ऐसे कोशिश किये जा रहे हैं

सेरा गांव की कुलदेवी हैं उल्का देवी
सेरा गांव के मेहता लोग उल्का देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं इस दिन सभी गांव के लोग गांव के ही देव स्थल में इक्कठा होकर मां उल्का देवी और अन्य सभी देवताओं से गांव की शांति और समृद्धि के लिए आराधना करते हैं

प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती हैं उल्का देवी
ढोल दमवा की धुन पर देवताओं का आवाहन किया जाता है, मान्यता है कि गांव के देव डांगरो पर अवतरित होकर जनता को आशीर्वाद देते हैं सेरा गांव से माता उल्का को डोली में बैठाकर उल्का देवी मंदिर तक भव्य यात्रा निकाली जाती है शहर की ऊंची चोटी में विराजमान उल्का देवी शहर की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती है इसी स्थान पर देव डोलों की इस यात्रा का समाप्ति होता है

गोरखाओं ने की थी उल्का देवी मंदिर की स्थापना
उल्का देवी माता को गोरखा अपनी कुलदेवी मानते थे गोरखाओं ने ही शहर की चोटी पर उल्का देवी मंदिर की स्थापना भी की उल्का माता की शक्ति को देख सेरा गांव के निवासी शेर सिंह मेहता द्वारा संतान प्राप्ति के लिए मां की आराधना की गई, मुराद पूरी होने पर इनके द्वारा माता का भव्य मंदिर बनाया गया और सेरा गांव में उल्का देवी की स्थापना की गई तब से यहां के मेहता लोग कुलदेवी के रूप में उल्का देवी की पूजा करते हैं

देवभूमि है उत्तराखंड
उत्तराखंड के पहाड़ों में देवी देवताओं का निवास है जिस कारण इसे देवभूमि बोला जाता है आस्था का यह अनोखा संगम केवल पहाड़ों में ही देखा जा सकता है, जहां देवताओं पर विश्वास और सभ्यता पीढ़ी रेट पीढ़ी चले आ रही है

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