नहीं जा पा रहे हैं बद्रीनाथ धाम, तो अक्षय तृतीया पर इस मंदिर के करें दर्शन
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है। इसे चार धाम का मुख्य द्वार भी बोला जाता है। ऋषिकेश में कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। यहां स्थापित हर मंदिर का अपना रोचक इतिहास और महत्व है। हमारे हिंदू धर्म में तीज त्योहारों का विशेष महत्व है। मंदिरों में दर्शन के लिए हमेशा भक्तों की लाइन लगी रहती है। ऐसे में अक्षय तृतीया पर तो यहां स्थित भरत मंदिर में पैर रखने तक की स्थान नहीं मिलती है।
ऋषिकेश का भरत मंदिर है खास
खास वार्ता के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित भरत मंदिर के पुजारी धर्मानंद शास्त्री ने कहा कि भरत मंदिर ऋषिकेश के प्राचीन और मशहूर मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में हर तीज त्यौहार पर भक्तों की भीड़ रहती है। लेकिन, अक्षय तृतीया के दिन यहां सुबह से ही इतनी भीड़ रहती है कि लोगों को पैर रखने तक की स्थान नहीं मिलती। क्योंकि, अक्षय तृतीया मंदिर के मुख्य पर्वों में से एक हैं। मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी किसी कारणवश बद्रीनाथ धाम न जा पाए और अक्षय तृतीया के दिन मंदिर की 51 बार परिक्रमा कर ले, उसे बद्रीनाथ धाम के फल की प्राप्ति होती है।
बद्रीनाथ धाम के फल की होती है प्राप्ति
पुजारी धर्मानंद ने कहा कि अक्षय तृतीया का अर्थ है आरंभ। ऋषिकेश का भरत मंदिर ईश्वर विष्णु को समर्पित है। ईश्वर विष्णु के नाम पर ही इस स्थान को पहले हर्षिकेश और अब ऋषिकेश के नाम से जाना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। इसके बाद ईश्वर विष्णु के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं, जो वर्ष में केवल एक दिन अक्षय तृतीया पर होते हैं। इनके चरणों के दर्शन के बाद ही चार धाम के पट खुलते है। यदि आप किसी कारणवश बद्रीनाथ धाम नहीं जा पा रहे हैं, तो आप त्रिवेणी घाट रोड पर स्थित भरत मंदिर के दर्शन जरूर करें। अक्षय तृतीया पर इस मंदिर की 52 बार परिक्रमा करने से बद्रीनाथ धाम के फल की प्राप्ति होती है।