Uttarakhand: कैदियों को नैनीताल जेल से शीघ्र ही सितारगंज जेल में किया जाए शिफ्ट: हाईकोर्ट
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मुद्दे की सुनवाई हुई. न्यायालय की ओर से नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि नैनीताल कारावास के 40 कैदी एड्स के रोगी है. इन कैदियों के लिए अलग से रहने की प्रबंध की जाए. सुनवाई पर आईजी कारावास विमला गुंजियाल न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुई. उन्होंने न्यायालय से बोला कि इस कारावास में सात बैरक है जिसकी क्षमता 71 कैदी रखने की है. जबकि वर्तमान में यहां क्षमता से कई अधिक कैदी रखे हुए है. स्थान की कमी के कारण कारावास का विस्तारीकरण नही हो पा रहा है. कारावास के विस्तारीकरण करने के लिए उन्हें 10 एकड़ भूमि की जरूरत है.
यह भूमि रामनगर में है. इस पर न्यायालय ने बोला कि सितारगंज कारावास बड़ी कारावास है जो 500 एकड़ भूमि पर बनी हुई है और इस कारावास में कई सुविधाएं मौजूद हैं इसलिए इन कैदियों को वहां शिफ्ट किया जाए. पूर्व में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल कारावास के निरीक्षण के दौरान पाया कि 1906 में बना कारावास का भवन काफी पुराना हो चुका है जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है. कारावास में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है. कारावास में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.
जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है. कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने में दिक्कतें होती है. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल कारावास भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है. जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है. जिसका हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था