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विदेश नहीं, भारत की ये जनजाति है दुनिया में सबसे खतरनाक…

क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे घातक जनजाति कौन सी है? इस ट्राइब के लोग आज भी स्वयं को मुख्यधारा से काटे हुए हैं और यदि कोई इनके क्षेत्र में पहुंच जाए तो उसकी मर्डर कर देते हैं? आपको जानकर आश्चर्य होगी कि ये जनजाति अमेजन वर्षावन या फिर अफ्रीका में नहीं पाई जाती, बल्कि हिंदुस्तान के एक आइलैंड पर इस ट्राइब्स के लोग रहते हैं यदि गलती से भी कोई यहां चला जाए तो उसका बचना कठिन होता है पिछले 30 हजार वर्ष से अधिक समय से ये लोग पूरी दुनिया से अलग-थलग रह रहे हैं अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये आइलैंड है कहां और इसका नाम क्या है?

आपको बता दें कि अंडमान के नॉर्थ सेंटिनेल आइलैंड को दुनिया में सबसे घातक माना जाता है यहां रहने वाली जनजाति स्वयं को पूरी दुनिया से काटे हुए है यानी अनेक कोशिशों के बावजूद इन्होंने मुख्यधारा में जुड़ना मुनासिब नहीं समझा नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड पर रहने वाली जनजाति ने लोगों का ध्यान तब आकर्षित किया, जब उन्होंने 2018 में ईसाई मिशनरी जॉन एलन चाऊ की मर्डर कर दी जॉन ने नॉर्थ सेंटिनल द्वीप को “पृथ्वी पर शैतान का अंतिम गढ़” कहा था इस जनजाति के लोगों ने पहले भी उन अनेक लोगों की मर्डर कर दी, जो इनके द्वीप तक पहुंच गए ये अकेली ऐसी जनजाति है, जिनके जीवन या अंदरूनी मामलों में हिंदुस्तान गवर्नमेंट दखल नहीं देती है साथ ही यहां बाहरी लोगों के जाने पर गवर्नमेंट ने प्रतिबंध लगा रखा है

बाहरी लोगों को क्यों समझते हैं दुश्मन?
हाल ही में खोजे गए दस्तावेजों से पता चलता है कि सेंटिनल आइलैंड पर रहने वाली जनजाति को बाहरी लोगों के प्रति इतने शत्रुतापूर्ण क्यों हैं दरअसल, इसकी वजह वे अपहरण, रोग और परेशान करने वाली निजी तस्वीरों को बताते हैं कनाडा में जन्मे औपनिवेशिक प्रशासक मौरिस विडाल पोर्टमैन रॉयल नेवी के आदेश पर थे, जब उन्होंने उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर धावा किया कहा जाता है कि ये धावा सफल नहीं रहा, लेकिन बाहरी लोगों के प्रति इस जनजाति में शत्रुता का रेट पनप गया हमले के बाद पोर्टमैन 2 सेंटिनली वयस्कों और 4 बच्चों का किडनैपिंग कर लिया और उन्हें दक्षिण अंडमान द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर ले गया

अपहरण की वजह से फैली महामारी
पोर्टमैन द्वारा किडनैपिंग किए गए लोगों की वजह से इस आइलैंड पर महामारी फैल गई कहा जाता है कि सेंटिनलीज, जो हज़ारों सालों से पूरी दुनिया से अलग-थलग रहते थे, उनमें कई सामान्य रोंगों के प्रति भी कोई प्रतिरक्षा नहीं थी ऐसे में अपहृत लोग जल्द ही बीमार पड़ गए वयस्कों की मौत हो गई हालांकि, बच्चे इस रोग से उबर गए थे ऐसे में उन्हें फिर द्वीप पर वापस भेज दिया गया लेकिन उन बच्चों के अंदर बीमारियां उपस्थित थीं, जिसने यहां रह रहे लोगों के बीच एक विध्वंसक महामारी फैला दी ऐसे में संभावना व्यक्त किया जाता है कि यह अनुभव सेंटिनलीज की लगातार शत्रुता और बाहरी लोगों की अस्वीकृति का कारण हो सकता है

पोर्टलैंड की थी शरीर से जुड़ी नीजी चीजों में दिलचस्पी
हमले के बाद पोर्टलैंड ने सेंटिनल आइलैंड को लेकर विस्तार से लिखा उसने अध्ययन का दस्तावेजीकरण करने के लिए तस्वीरों का एक संग्रह बनाया, जिसमें इन जनजातियों के शरीर से जुड़ी कई अनुचित बातों की चर्चा है इतना ही नहीं, पोर्टमैन विशेष रूप से नॉर्थ सेंटिनल और आसपास के द्वीपों के मर्दों के निजी अंग में रुचि रखता था वहां की स्त्रियों को लेकर भी पोर्टमैन ने कई बातें लिखीं हमले के बाद भी पोर्टमैन ने अगले कुछ सालों में एक से अधिक बार नॉर्थ सेंटिनल द्वीप लौटने की प्रयास की, लेकिन सेंटिनली हर बार उससे छिपते रहे

कम हो रही है जनसंख्या
इस द्वीप को हिंदुस्तान गवर्नमेंट द्वारा संरक्षित किया जाता है इसके 5 मील का दायरा बहिष्करण क्षेत्र में आता है, लेकिन फिर भी जॉन एलन चाऊ की तरह कभी-कभार लोग घुसपैठ की प्रयास करते हैं हाल के सालों में सेंटिनलीज के साथ संपर्क का कोई औपचारिक कोशिश नहीं किया गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि द्वीप की जनसंख्या कम हो रही है साथ ही बाहरी लोगों के सेंटिनलीज भाषा सीखने में असमर्थ होने के कारण उनके अलगाव का परफेक्ट कारण जल्द ही इतिहास में खो जाएगा इस जनजाति के लोग इर्द-गिर्द उड़ने वाले हेलिकॉप्टरों पर भी तीर-भालों से धावा करने की प्रयास करते हैं

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