इस खास गमछा और शॉल की बिहार में जबरदस्त डिमांड
मिथिला पेंटिंग की जब से ब्रांडिग प्रारम्भ हुई है, बिहार ही नहीं, अन्य राज्यों से भी इसकी डिमांड आने लगी है। ऐसे में अभी जबकि लोकसभा चुनाव का समय है, नेता हर उस प्रतीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो मतदाताओं का ध्यान आकर्षित कर सके। इसमें मधुबनी की मिथिला पेंटिंग भी शामिल है। इस बार के चुनाव में इन कलाकृतियों से सजी सामग्रियों का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। बिहार की राजनीति में चुनावी घोषणापत्र से लेकर टिकट वितरण और उसके बाद होने वाली जनसभाओं में पार्टी के प्रतीक चिह्न से सजी मिथिला पेंटिंग की अच्छी मांग है। इससे मधुबनी पेंटिंग से जुड़े कलाकार भी काफी उत्साहित हैं।
मिथिला पेंटिंग से बिहार का खासा जुड़ाव है। हाल के दिनों में चाहे वह भोजपुर-मगध का क्षेत्र हो, अंग प्रदेश हो या फिर कोसी-सीमांचल। गवर्नमेंट भी दीवारों पर मिथिला पेंटिंग करवा रही है। इससे इस पेंटिंग के बारे में लोगों में जिज्ञासा बढ़ी है। यही कारण है कि यहां हर बड़े सियासी मंचों पर मेहमानों का स्वागत ज्यादातर मधुबनी पेंटिंग से किया जा रहा है। मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध मिथिला चित्रकला आर्टिस्ट इप्शा पाठक ने कहा कि चुनाव के दौरान नेता स्वयं पेंटिंग बनवा रहे हैं या फिर सप्लायर हमें आर्डर दे रहे हैं। इनमें पार्टी के प्रतीक चिह्न के साथ मिथिला पेंटिंग को अहमियत दी जा रही है। जदयू, राजद, बीजेपी, कांग्रेस पार्टी सहित सभी सियासी पार्टियों के प्रतिनिधि उन्हें बताते हैं कि चुनाव प्रचार को परंपरा और संस्कृति से जोड़ने से मतदाताओं का भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।
थोक में 100 से 500 रुपए तक कम लग रहा खर्च
इप्शा बताती हैं कि इस बार के चुनाव में मिथिला पेंटिंग से जुड़ी स्त्रियों को बड़ा प्लेटफॉर्म मिला है। सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करने के बाद अब दूसरे राज्यों के उम्मीदवार भी संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर शॉल, गमछा, पाग और साड़ी पर मिथिला पेंटिंग करने पर प्रति नग 100 से 500 रुपए तक कम खर्च आता है। खुदरा में वह गमछा 600 से 800, शॉल 700 से 1100, तोख्ता 900 से 1500 रुपए तक में बिकता है। यदि कोई थोक में इसे खरीदता है, तो उसका दर प्रति पीस कम लगाया जाता है। इसमें वह अपना, कारीगर और ग्राहक तीनों का लाभ देख कर दर लगाती हैं।
महिलाओं को हो रही अच्छी कमाई
इप्शा पाठक आवरण नाम की संस्था चलाती हैं। इस संस्था में मिथिला और मधुबनी पेंटिंग से जुड़े 300 कलाकार काम करते हैं। इप्शा का बोलना है कि चुनाव में उन्हें दो तरह से लोग अप्रोच कर रहे हैं। या तो नेता या सियासी पार्टियां स्वयं मधुबनी पेंटिंग बनवा रही है या फिर सप्लायर हमें ऑर्डर दे रहे हैं। इसमें पार्टी सिंबल के साथ मिथिला और मधुबनी पेंटिंग की जा रही है।