इस शख्स ने सीप से मोती का किया उत्पादन, हुआ लाखों में मुनाफा
आपने अब तक सुना होगा कि मोती समुद्र से ही प्राप्त होता था या फिर इसके इर्द-गिर्द ही मोती के लिए सीप को पाला जाता था। ये तब की बात थी, लेकिन अब मोती के लिए समुद्र पर निर्भरता समाप्त हो गई है। बिहार में भी बड़े पैमाने पर मोती के लिए सीप को पाला जा रहा है। अब किसान छोटे-छोटे तालाबों या टैंक में भी सीप को पालकर मोती प्राप्त कर रहे हैं और इसकी बिक्री कर कमाई भी कर रहे हैं। बिहार के समस्तीपुर जिला स्थित मोरवा प्रखंड भीतर मारीच गांव के रहने वाले हरि शर्मा सीप से मोती का उत्पादन कर रहे हैं और अच्छा फायदा भी कमा रहे हैं।
हरिशर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यूट्यूब पर सर्च करने के दौरान मोती उत्पादन का आइडिया मिला। इसके बाद नदी और तालाब में सीप खोजना प्रारम्भ कर दिया। वर्तमान में एक हजार सीप इकट्ठा कर मोती उत्पादन का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा की आरंभ में यूट्यूब पर देखने के बाद भी मोती उत्पादन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई। इसके बाद बनारस यूनिवर्सिटी जाकर सीप से मोती उत्पादन करने का तरीका सीखा। कुछ दिन रहकर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। इसके बाद सीप का काम प्रारम्भ किया। अब तो इतने दक्ष हो चुके हैं कि सीप से ऑपरेशन कर मोती भी निकाल लेते हैं।
ऐसे होता है सीप का ऑपरेशन
हरि शर्मा ने कहा कि सर्वप्रथम तालाब से सीप को निकाल लेते हैं। सुबह से दोपहर 12 बजे तक सीप का मुंह खुला हुआ रहता है। इसी समय जब सीप का मुंह खुला हुआ रहता है तो सीप के अंदर वाले हिस्से में परत के अंदर न्यूक्लियस डालकर छोड़ देते हैं। उसके बाद न्यूक्लियस ऑटोमेटिक सीप के अंदर चला जाता है और इसकी परत चढ़ जाने से मोती तैयार हो जाता है। उन्होंने कहा कि लोकल स्तर पर 250 से 300 रुपए प्रति पीस के हिसाब से मोती बिकता है। एक सीप से दो मोती तैयार होते हैं। वहीं, एक सीप को तैयार करने में 9 रुपए खर्च आता है।