बिहार

चैत्र नवरात्र की नौवीं तिथि व रामनवमी धूम-धाम से मनाई

समस्तीपुर जिले में शहर से लेकर विभिन्न ग्रामीण इलाकों में बुधवार को चैत्र नवरात्र की नौवीं तिथि और रामनवमी धूम-धाम से मनाई गई. मंदिरों में माता सिद्धिदात्री और ईश्वर श्रीराम की पूजा-अर्चना को भारी संख्या में लोग उमड़े. मंदिरों और घरों में रामचरितमानस और सुंदर काण्ड का पाठ किया गया. सुबह में पूजा और दोपहर के बाद जुलूस और शोभा यात्रा निकाली गई. इस दौरान श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा गया. दोपहर में विभिन्न जगहों से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. इसमें ईश्वर की झांकी शामिल थी. पूरा शहर भगवा झंडा से पटा हुआ है. पंडित विजयशंकर झा ने कहा कि ईश्वर राम का जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल नवमी तिथि में मनाई जाती है. धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिये ईश्वर का अवतार समय-समय पर होता रहता है. रामावतार का कारण-वैकुंठ में जय-विजय नामक द्वारपाल जब सनकादि ऋषि के शाप से तीन जन्मों तक राक्षस बनने का श्राप प्राप्त कर लिया तो जय-विजय ने ईश्वर से ही अपना वध करने का वरदान मांग लिया. उसी वरदान की मर्यादा रक्षा के लिए ईश्वर ने रावण वध के लिए अवतार लिया. ईश्वर का प्राकट्य चैत्र शुक्ल नवमी में हुआ था. सृष्टि के संरचना करने वाली माता सिद्धिदात्री का प्राकट्य होने का संयोग भी इसी दिन प्राप्त होता है. -पढ़ें पेज 16 भी वारिसनगर में कलश शोभा यात्रा में शामिल कन्याएं. महानवमी तिथि में देवी के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा सम्पन्न हुई. इसके साथ ही जगह-जगह श्रद्धालुओं ने कुमारी-पूजन किया. शिवाजीनगर की बंधार पंचायत के इच्छा दुर्गा मंदिर बाघोपुर में 5100 कन्याओं को भोजन कराया गया. वहीं सुहागिन महिलाओं द्वारा देवी के खोइंछा भरने के लिए काफी भीड़ देखी गई. नवरात्र में कुमारी-पूजन का विशेष महत्व है. कुमारी कन्याओं को एक दिन पूर्व ही निमंत्रण दिया जाता है. अगले दिन उन्हें आदर पूर्वक बुलाकर उनके चरण धोये जाते हैं. और हलवा-पूरी या खीर का भोजन कराया जाता है. नवरात्र का हवन किया गया. देवी का गमन मनुष्य पर होगा.

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