बिहार

रेलवे में विकास के लिए झारखंड के गोड्डा को देखिए, यहां गिरधारी ने कुछ नहीं किया

पड़ोस में झारखंड के गोड्‌डा जिले को देखिए. रेलवे के क्षेत्र में वहां विकास हुआ है. वहां की जनता को लंबी दूरी की ट्रेनों की सुविधाएं मिली है. ये इस लिए हो पाया कि वहां के सांसद सक्रिय हैं. मगर, बांका में कोई विकास नहीं हुआ. यहां के सांसद गिरधारी यादव ने जनता के अधिकार में कोई काम नहीं किया. ये बोलना है एक ठेकेदार मनीष कुमार सिंह का.

भागलपुर में शिवांगी भारती पहली बार वोट करेंगी. वह कहती हैं कि हम तो जाति पर ही वोट करेंगे. विकास के नाम पर कुछ होता नहीं है, केवल दिलासा दिया जाता है. गांव में तो जाति ही देखी जाती है.

ये दो बातें लोकसभा चुनाव में मामले को लेकर बहुत की क्लियर करती हैं. कोई विकास पर वोट करना चाहता है, तो कोई जाति ही देखकर. मीडिया की टीम ने बांका में चलती ट्रेन में लोगों से उनकी राय जानी तो भागलपुर में विद्यार्थियों से बात की. पढ़िए चुनाव को लेकर कौन-क्या कहता है…

 

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को बांका संसदीय क्षेत्र में वोट डाले जाएंगे. यहां NDA की तरफ से जदयू के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद गिरधारी यादव की भिड़न्त महागठबंधन की तरफ से राजद उम्मीदवार जयप्रकाश नारायण यादव से है. वोट डाले जाने से पहले बांका की जनता क्या सोचती है? बांका का कितना विकास हुआ है? यहां की जनता के लिए मामला महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, जन सुविधाओं में कमी है या फिर इन सब पर भारी राम मंदिर, धर्म और जात है?

जनता के मन की बात को जानने के लिए सुबह 8:30 बजे मीडिया टीम पहुंची बांका रेलवे स्टेशन. यहां प्लेटफॉर्म नंबर-1 पर पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल जाने के लिए ट्रेन नंबर 13241 बांका इंटरसिटी खड़ी थी. अपने तय समय 8:45 बजे ट्रेन रवाना हो गई. मीडिया टीम ट्रेन के एसी कोच M-1 सवार हुई. चलती ट्रेन में अंदर ही अंदर 4 कोचों में गई और 16 किलोमीटर की दूरी तय कर बांका के ही बाराहाट स्टेशन तक का यात्रा तय किया. ट्रेन अपने तय समय 9:19 से दो मिनट पहले ही पहुंच गई थी. इस यात्रा में मीडिया टीम ने कई लोगों से बात की.

हमें M-1 कोच में पेशे से ठेकेदार मनीष कुमार सिंह मिले. जो पटना जा रहे थे. मनीष ने बोला कि बांका का विकास पूर्ण रूप से नहीं हुआ है. जो हम लोग चाहते हैं, वो कुछ भी नहीं हुआ है. यहां के विकास में बाधा वही लोग हैं, जिन प्रत्याशियों को चुन कर हम लोग लोकसभा भेजते हैं. बांका का विकास कैसे हो? ये देखना उनका काम है. पर उससे हमलोग वंचित हैं. पड़ोसी जिला गोड्‌डा, झारखंड में है. आप उसके विकास को देख लीजिए. रेलवे के क्षेत्र में वहां विकास हुआ. वहां से लंबी दूरी की कई ट्रेनें चलती हैं. मगर, रेलवे क्षेत्र में बांका के अंदर कोई विकास नहीं हुआ. यातायात के साधनों की यहां काफी कमी है. यहां केवल पटना के लिए यही एक इंटरसिटी एक्सप्रेस चलती है. कम से कम यहां से हावड़ा, दिल्ली, टाटा सहित लंबी दूरी की 5-6 ट्रेनें जरूर चलनी चाहिए थी. लंबी दूरी की ट्रेनों को पकड़ने के लिए हमें भागलपुर या झारखंड के जसीडीह जाना पड़ता है.

वो कहते हैं बांका लोकसभा को ठीक उम्मीदवार मिलना चाहिए था. जो मिला नहीं. वैसे इस बार के चुनाव में राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और जदयू के गिरधारी यादव में भिड़न्त होगी. अभी का जो माहौल है, उसमें राजद के उम्मीदवार भारी दिख रहे हैं.

आगे बढ़ने पर B-6 कोच में बिहार गवर्नमेंट में जॉब करने वाले गौरी शंकर मिले. ये बताते हैं कि बांका में अधिक परेशानी ट्रेन की है. जो सुविधा लोगों को मिलनी चाहिए, वो बहुत कम मिल पा रही है. लंबी दूरी की ट्रेन पकड़ने के लिए बांका के लोगों को भागलपुर या जसीडीह जाना पड़ता है. यहां से जसीडीह की दूरी 70 किलोमीटर है. इसके लिए अलग से एक आदमी का किराया 150 रुपए लगता है. जबकि, भागलपुर की दूरी 50 किलोमीटर है और इसके लिए 70 रुपया किराया देना पड़ता है. आने-जाने में कठिनाई बहुत होती है. बांका को ऐसा सांसद मिलना चाहिए, जो करप्शन से मुक्त हो. जो बांका का विकास करे. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोड की अच्छी प्रबंध करे. किसान की समस्याओं और बेरोजगारी दूर करने पर ध्यान दे.

वहां से आगे बढ़ने पर टीम को B-4 कोच में निरंजन कुमार सिंह मिले. जो बिजनेस करते हैं. ये कहते हैं कि बांका में कारोबारियों का हाल शानदार नहीं है. पिछले 5 वर्षों में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है. निरंजन कहते हैं कि राम मंदिर का मामला भारी है, पर बांका में विकास भी महत्वपूर्ण है. बांका की जनता परिवर्तन चाहती है. क्योंकि, यहां न तो शिक्षा है और न ही कोई प्रबंध है. बांका का सांसद कैसा हो? इस प्रश्न पर निरंजन ने बोला कि बांका का सांसद दिवंगत दिग्विजय सिंह की तरह होना चाहिए. उनकी तरह कोई भी उम्मीदवार नहीं मिला है.

B-4 कोच में ही हमें भागलपुर के लिए यात्रा कर रहे स्टूडेंट सौरव मिले. इनके लिए एक्साइटमेंट वाली बात यह थी कि ये फर्स्ट टाइम वोटर हैं. मतलब पहली बार लोकसभा के चुनाव में ये वोट डालेंगे. भागलपुर के कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. सौरव कहते हैं कि बांका में शिक्षा प्रबंध ठीक नहीं है. अच्छे कॉलेज की कमी है. इसी कारण से 50 किलोमीटर की दूरी तय कर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है. जो बहुत टफ है. इस स्टूडेंट की नजर में राजद के उम्मीदवार जयप्रकाश नारायण का पलड़ा भारी है. जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों? इस पर उत्तर देते हुए सौरव ने कहा कि वर्तमान सांसद गिरधारी यादव के कई ऑडियो और वीडियो वायरल हो चुके हैं. जिससे उनके व्यवहार का पता चलता है. वैसे भी उनका कोई काम नहीं दिखा है. राम मंदिर और बेरोजगारी में बड़ा मामला कौन? इस प्रश्न पर स्टूडेंट ने बोला कि बेरोजगारी बड़ा मामला है. युवाओं को जॉब मिलनी चाहिए. वैसे हमारा समर्थन ईश्वर राम के लिए भी है. लेकिन, बिहार की हालत को देखते हुए बल शिक्षा, रोजगार और विकास पर होना चाहिए.

भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में पढ़े-लिखे युवाओं से मीडिया ने बात की. हिंदी से एमए की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों ने वार्ता में कई तरह की बातें कहीं. कुछ वोट के प्रश्न पर, मामले के प्रश्न पर बेपरवाह- लापरवाह नजर आए. युवाओं में वोट करने को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. वे अपनी साफ-साफ राय नहीं बना पाए हैं.

इसका कारण विभिन्न वजहों से राजनीति से उनकी विरक्ति भी हो सकती है. कुछ युवा ऐसे भी दिखे जिन्होंने साफ-साफ बोला कि हम तो अपनी जाति वाले उम्मीदवार को ही वोट करेंगे, ऐसा करने का कारण भी उनके दिमाग में साफ है. उनकी चिंता में यह शामिल है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की खासी कमी है और इससे उन्हें पढ़ाई में परेशानी हो रही है.

शशि कुमार कहते हैं कि भागलपुर में प्रदूषण काफी है, इसमें सुधार होना चाहिए. दिल्ली की तरह शिक्षा की स्थिति बिहार में नहीं है, सड़क तो हमेशा खराब ही रहती है. इसलिए हम विकास के मामले पर वोट करना पसंद करेंगे.

प्रीति कहती हैं कि गवर्नमेंट राष्ट्र का विकास करे. खास कर के शिक्षा पर गवर्नमेंट को फोकस करना चाहिए. यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की काफी कमी है और गवर्नमेंट इसमें सुधार नहीं कर पा रही है. पानी की परेशानी भी हमारे मोहल्ले अलीगंज में है. सड़क की परेशानी है. लड़कियां आगे बढ़ रही हैं पर अभी भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा है.

कोमल कहती हैं कि विकास तो हुआ है. लेकिन शिक्षा पर गवर्नमेंट को और अधिक फोकस करना चाहिए. ट्रेन की सुविधा ठीक है. शिक्षक की कमी काफी है यूनिवर्सिटी में.

 

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