इस शक्तिपीठ में होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति
हिंदू धर्म में नवरात्रि पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में लोग नवरात्रि के मौके पर 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा भी करते हैं। दुर्गा पूजा को लेकर विशेष पूजा पद्धति के लिए बिहार का जयमंगलागढ़ मंदिर मशहूर माना जाता है। चेरिया बरियारपुर प्रखंड स्थित यह मंदिर राष्ट्र के 52 शक्तिपीठों में शुमार है। मंदिर के पुजारी शम्भू बाबा का बोलना है कि इस जगह में मां के मंगलकारी रूप ‘माता जयमंगला’ की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। यहां देवी सती का वाम स्कंध गिरा था। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां ‘रक्तविहीन बलि’ की प्रथा नहीं है। पूरे नवरात्र यहां सप्तशती का पाठ चलता है। जिसकी पूर्णाहुति हवन से होती है। ऐसे में इस मंदिर की यह भी मान्यता है कि नवरात्र के 9 दिन जो भी भक्त राष्ट्र की किसी भी कोने से से आकर यहां जो मन्नत मांगते हैं सभी की मन्नत पूरी होते आई है।
मंदिर के पुजारी शम्भू बाबा के मुताबिक शारदीय नवरात्र में यहां पर कलश स्थापना के बाद रोजाना पंडितों के समूह द्वारा ‘संपुट शप्तशती’ का पाठ किया जाता है। कुछ क्षेत्रीय श्रद्धालु मंदिर परिसर में संकल्प के साथ रोजाना पाठ करते हैं। सप्तमी पूजा के दिन जुड़वां बेल को माता स्वरूप मानकर आमंत्रित किया जाता है। यहां पर अलग पद्धति से कई वर्ष से पूजा होती आ रही है। ‘बिल्वाभिमंत्रण’ के बाद रक्तविहीन बलि दी जाती है। जिसके बाद महाष्टमी की रात में निशा पूजा का आयोजन होता है। जो यहां की सबसे मशहूर पूजा मानी जाती है। अंत में जाकर मां के दर्शन के लिए पट खुलता है। मां का खोंइछा भरने के साथ हीं हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यहां आने वाले भक्तों की इच्छा सदैव पूर्ण होती है।
फूल, अक्षत, लड्डू से प्रसन्न होती है मां
मंदिर परिसर में पूजा-पाठ और प्रसाद सामग्री बेच रहे दुकानदारों ने कहा मां जयमंगला पुष्प, जल, अक्षत से ही प्रसन्न हो जाती है। मंदिर के पुजारियों का बोलना है कि नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में जप, पाठ पूजन से मनोवांछित फल मिलता है। यहां वर्ष भर मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भीड़ रहती है। यदि आप भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आना चाहते हैं तो कहीं से भी आप बेगूसराय बस स्टैंड पहुंच जाए। यहां से मंझौल जाने वाली कोई भी वाहन में सवार या भी अपनी वाहन से मंझौल नित्यानंद चौक आ जाए। नित्यानंद चौकसे जयमंगलागढ़ के लिए हमेशा गाड़ियां मौजूद रहता है। इस बात का केवल ध्यान रखें की आप 5 बजे तक मंदिर परिसर क्षेत्र से बाहर निकल जाए। आपकों बता दें कि जिला मुख्यालय से इस मंदिर की दूरी 24 किमी है।