बिहार

लैंड फॉर जॉब स्कैम: मनी लॉंड्रिंग मामले में तेजस्वी यादव को ईडी ने भेजा नया समन

पटना प्रवर्तन निदेशालय यानी प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement/ED) ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को पूछताछ के लिए एक नया समन भेजा है उन्हें पांच जनवरी को दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय मुख्यालय (ED Headquater,New Delhi) में बुलाया गया है बता दें कि इससे पहले जांच एजेंसी के द्वारा तेजस्वी यादव को 22 दिसंबर को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वो पूछताछ की प्रकिया में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे थे बता दें कि तेजस्वी यादव ने बिहार से अपने पक्ष में बयान जारी किया था लेकिन, इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एक नया समन जारी करते हुए जांच एजेंसी के द्वारा पांच जनवरी को होने वाली पूछताछ के लिए बुलाया गया है इसके साथ ही जांच एजेंसी के द्वारा 27 दिसंबर को लालू प्रसाद यादव को पूछताछ के लिए दिल्ली स्थित मुख्यालय में बुलाया गया है

दरअसल, जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय “जमीन के बदले जॉब देने के फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग मामले” में इन दोनों आरोपियों से पूछताछ करना चाहती है हालांकि, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सहित लालू परिवार के कई सदस्यों से पहले भी जांच एजेंसी के द्वारा पूछताछ की जा चुकी है लेकिन, पिछले कुछ दिनों कुछ ऐसे आरोपियों का बयान दर्ज हुए हैं जो लालू परिवार के बहुत करीबी हैं उनके द्वारा दर्ज बयान के आधार पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से प्रवर्तन निदेशालय की टीम विस्तार से पूछताछ करना चाहती है

जमीन के बदले जॉब देने का मुद्दा करीब 600 करोड़ का
जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक, जमीन के बदले जॉब स्कैम का यह मुकदमा काफी गंभीर है प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक, मामला करीब 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का है जांच पड़ताल के दौरान अब तक करीब 250 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित सबूतों को और गैरकानूनी लेनदेन सहित करीब 350 करोड़ की गैरकानूनी चल अचल संपत्तियों से संबंधित इनपुट्स इकट्ठा किए जा चुके हैं इस मुद्दे में जांच एजेंसी अब तक काफी जरूरी सबूतों को इकट्ठा कर चुकी है लेकिन, कानूनी प्रावधान है कि आरोपियों का बयान दर्ज करना और उसके उत्तर का शोध करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, लिहाजा इस मुकदमा में पिछले कुछ समय से लगातार पूछताछ के लिए कई आरोपियों को जांच एजेंसी द्वारा बुलाया जा रहा है

इसी वर्ष 2023 में  25 मार्च को केंद्रीय जांच एजेंसी CBI (CBI) के द्वारा तेजस्वी यादव से और उसी दिन उनकी बड़ी बहन मीसा भारती (Dr Misa Bharti, MP of Rajya Sabha) से जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा  कई घंटों की पूछताछ कर चुकी है CBI द्वारा ये पूछताछ दिल्ली स्थित CBI मुख्यालय (CBI headquarter) में की गई थी जमीन के बदले नौकरी देने का ये मामला तो उस समय का है जब तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) केन्द्रीय रेल मंत्री होते थे उसी दौरान एक विशेष जाति समूह और बिहार के  एक विशेष विधानसभा में रहने वाले कई लोगों को रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले में उसकी बेशकीमती जमीन लेने का इल्जाम है

जांच एजेंसी के मुताबिक, वही जमीन बाद में लालू प्रसाद के इशारे पर उनकी पत्नी राबड़ी देवी उनके पुत्र तेजस्वी यादव और मीसा भारती, हेमा यादव सहित अन्य बेटियों  के नाम से की गई थी जांच एजेंसी इस मामले में यही जानना चाहती है कि क्या इस मामले की जानकारी उन्हें थी या नहीं? इसके साथ ही लालू परिवार के कई सदस्यों के नाम से कई प्रॉपर्टी कैसे उसके नाम से हुई, इस तरह के कई प्रश्न हैं जिनका उत्तर जांच एजेंसी पड़ताल करने में जुटी है

अमित कत्याल की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी के इकट्ठे किए सबूत
बता दें कि जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय की दिल्ली जोन के तफ्तीश कर्ताओं के द्वारा 11 नवंबर को  अमित कत्याल नाम के एक आरोपी को अरैस्ट किया था जांच एजेंसी का इल्जाम है कि इसका बिहार के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav),उनके पुत्र तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav, Deputy सीएम of Bihar)जो मौजूदा वक्त में बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री भी हैं, उनके साथ आरोपी का बहुत ही करीबी संबंध है लेकिन, घोटाले से जुड़े मामले की यदि बात करें तो जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में ईडी की तफ्तीश के दौरान रियल स्टेट कारोबारी अमित कत्याल और मेसर्स ए के इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड (M/s AK Infosystem Pvt.Ltd), मेसर्स आइसबर्ग होटल और रिजॉर्ट लिमिटेड  नाम की कंपनी का नाम सामने आया था लिहाजा जब उससे जुड़े इस मामले की तफ्तीश का दायरा जब आगे बढ़ाया गया तो उसका सियासी शख़्सियतों और उससे जुड़े अन्य लोगों के साथ संदिग्ध लेनदेन और प्रॉपर्टी के लेनदेन का कनेक्शन सामने आया

इसके बाद उसकी विस्तार से जांच पड़ताल करने और उसके बारे में पूछताछ करने के लिए अमित कत्याल को पूछताछ का समन भेजा गया लेकिन, वो उस समन (Summon) को दरकिनार करने लगा और पिछले दो महीने से लगातार समन मिलने के बावजूद वो जांच एजेंसी के सामने नहीं आ रहा था लिहाजा इस मामले में जांच एजेंसी के द्वारा कार्रवाई को अंजाम देते हुए अमित कात्याल को  गिरफ्तार किया गया था उसके बाद उससे कई दिनों तक पूछताछ की गई और उसका बयान लिखित तौर पर दर्ज किया गया था

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