स्वास्थ्य

अनिद्रा की समस्या से हैं परेशान तो इन चीजों का करें सेवन

स्वाद ठीक लगा तो बार-बार बाहर से मंगाया. घर से बाहर निकले तो ‘जंक फूड’ जरूर खाया. दोस्तों के साथ पार्टी की तो भी जंक फूड आया. जंक फूड से दोस्ती कहीं आपकी नींद में जंग न लगा दें, क्योंकि पूरी दुनिया में वैज्ञानिक इस बात पर एकमत हैं कि जंक फूड लोगों की नींद छीन रहा है.

ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी की एक हालिया रिपोर्ट ने स्त्रियों की नींद उड़ा दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, मर्दों की तुलना में स्त्रियों में अनिद्रा का जोखिम 40 प्रतिशत अधिक होता है. इससे पहले भी ब्रिटेन की ही प्रसूति चिकित्सा की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि गर्भावस्था के दौरान 94 प्रतिशत गर्भवती स्त्रियों की नींद का चक्र बिगड़ जाता है.

दरअसल, जिनको देर से नींद आती है या फिर बार-बार नींद टूट जाती है, उनको मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की परेशानी तो हो ही सकती है, लेकिन अधिक चिंताजनक बात यह है कि ऐसे महिला-पुरुष को कभी गहरी नींद नहीं आती है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है. कई अध्ययन बताते हैं कि हम जो भी खाते हैं, उसका सीधा असर हमारी नींद पर पड़ता है. इसलिए यदि आप शर्करा युक्त पेय, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज और मसालेदार भोजन का अधिक सेवन करती हैं तो रात में बार-बार करवटें बदलने को विवश हो सकती हैं.

वैज्ञानिक और कई अध्ययन यह बता चुके हैं कि जंक फूड का सेवन हमारी गहरी नींद की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित करता है. नींद के मुख्य रूप से पांच चरण होते हैं, जिनमें तीसरा चरण गहरी नींद है, जिसे स्लो-वेव स्लीप या नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (एनआरईएम) के रूप में जाना जाता है. यह नींद चक्र का सबसे जरूरी चरण होता है, क्योंकि इसमें ही हमें सबसे अधिक आरामदायक नींद आती है. नींद का यह चरण ठीक न होने से हमें कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं.


<!– cl –>

अध्ययन बताता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित होने वाली ‘ओबेसिटी’ मीडिया में एक शोध प्रकाशित हुआ. यह शोध स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था. इसमें कहा गया कि नींद बहुत ही गतिशील होती है और इसके कई चरण होते हैं. इन चरणों में मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार की विद्युत गतिविधियां होती हैं. नींद का सबसे जरूरी चरण गहरी नींद (धीमी नींद) है. यह हार्मोन के स्राव के साथ कुछ पहलुओं को भी नियंत्रित करती है, जैसे कि आपकी नींद कितनी आरामदायक होगी.

गहरी नींद मांसपेशियों, हड्डियों और ऊतकों के निर्माण के साथ उनकी मरम्मत में भी सहायता करती है और बीमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. गहरी नींद आपकी मानसिक गतिविधियों और याददाश्त को बढ़ाने का काम करती है. शोध के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने उन प्रतिभागियों की गहरी नींद में धीमी तरंग गतिविधि पाई, जिन्होंने जंक फूड खाया था, जबकि स्वास्थ्यवर्धक आहार खाने वाले लोगों को आरामदायक गहरी नींद आई. वहीं, जंक फूड खाने वालों को कम गहरी नींद आई. इससे यह साबित होता है कि जंक फूड का सेवन बढ़ने से नींद की गुणवत्ता पर गहरा असर होता है.

कितना सोना है जरूरी

गहरी नींद मस्तिष्क से अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर उसे स्वस्थ रखने में सहायता करती है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, नींद के पैटर्न में परिवर्तन आते हैं. समय के साथ नींद की मात्रा और गुणवत्ता में कमी आती है. गहरी नींद न लेने से आपको मानसिक परेशानियां हो सकती हैं और कई अन्य विकार भी घेर सकते हैं.

तो क्या बहुत अधिक नींद लेने से कोई परेशानी नहीं होगी? कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने 5 लाख वयस्कों के डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें पाया कि अत्यधिक नींद लेना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. वैज्ञानिक मीडिया ‘नेचर एजिंग’ में प्रकाशित शोध के अनुसार, सात घंटे की नींद वयस्कों के लिए सर्वोत्तम है. जो लोग अधिक या कम सोते हैं, वे एंग्जायटी और डिप्रेशन का अधिक शिकार होते हैं.


 

उम्र के हिसाब से

  • नवजात शिशु को 14 से 17 घंटे की नींद की जरूरत होती है. इससे बच्चे का विकास ठीक ढंग से होता है.
  • एक से दो वर्ष के बच्चे को 11 से 14 घंटे सोना चाहिए. तीन से पांच वर्ष के बच्चे लर्निंग फेज में होते हैं. ऐसे में उन्हें 10 से 13 घंटे तक सोना चाहिए.
  • 6 से 12 वर्ष के बच्चों को 9-12 घंटे की नींद लेनी चाहिए, क्योंकि इस दौरान उनके शरीर का विकास होता है और लंबाई भी बढ़ रही होती है.
  • 13 से 18 वर्ष के बच्चों में किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है, जब पढ़ाई का दबाव उन पर सबसे अधिक रहता है. ऐसे में ठीक विकास के लिए उन्हें 8 से 10 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है.
  • 18 से 64 वर्ष तक के वयस्कों का अधिकांश समय काम और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच बीतता है और तनाव भी अधिक होता है, इसलिए उन्हें 7 से 9 घंटे तक सोना चाहिए.
  • 64 वर्ष से अधिक उम्र में काम करने की क्षमता कम हो जाती है और ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है. कई लोग तो शारीरिक समस्याओं से भी जूझते हैं और उनके लिए ठीक से चल पाना भी कठिन होता है. ऐसे में उन्हें 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए.

 

पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम

अमेरिका से प्रकाशित होने वाले जर्नल ऑफ क्लीनिकल स्लीप मेडिसिन में छपे एक शोध में यह पाया गया कि कम फाइबर, अधिक सैचुरेटेड फैट और अधिक शर्करा युक्त खाने से हल्की, पूरा आराम न देने वाली और बार-बार टूटने वाली नींद आती है. इसके नतीजे बताते हैं कि अधिक फाइबर का सेवन करने वाले लोगों को गहरी नींद आती है.

अध्ययन में पाया गया कि जब प्रतिभागियों ने कम सैचुरेटेड फैट और अधिक प्रोटीन वाले भोजन का सेवन किया तो उन्हें शीघ्र नींद आ गई और वे लंबे समय तक सोए रहे. अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन की रिपोर्ट बताती है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए आपको ऐसी जीवन-शैली को चुनना चाहिए, जो स्वास्थ्यवर्धक नींद को बढ़ाएं. इसके लिए आपको पौष्टिक आहार का सेवन और नियमित व्यायाम करना चाहिए. वहीं, पर्याप्त नींद न लेने से आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह और दिल संबंधी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.


आंकड़ों में जानें

अमेरिकन जर्नल ऑफ मैनेज्ड केयर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, हर वर्ष अमेरिका में 30 से 40 प्रतिशत वयस्क सालाना अनिद्रा को लेकर चिकित्सक के पास जाते हैं. नीदरलैंड के फिलिप्स ग्लोबल स्लीप सर्वे के अनुसार, पूरे विश्व में 62 प्रतिशत वयस्कों का बोलना है कि उन्हें उतनी अच्छी नींद नहीं आती, जितनी वे चाहते हैं. वहीं पूरे विश्व में 44 प्रतिशत वयस्कों का बोलना है कि पिछले पांच वर्षों में उनकी नींद की गुणवत्ता खराब हुई है.

 

अमेरिका में 9 से 21 प्रतिशत स्त्रियों और 24 से 31 प्रतिशत मर्दों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है, यानी नींद लेते हुए सांस लेने में रुकावट आती है. सोते समय खर्राटे लेना भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का ही एक संकेत होता है. अमेरिका में लगभग 57 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं खर्राटे लेती हैं.

दुनिया भर में क्या है स्थिति

कोरिया और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने स्मार्टवॉच और सर्वेक्षण के माध्यम से 11 राष्ट्रों में 30,000 से अधिक महिला-पुरुषों की नींद की आदतों की नज़र की. इसके नतीजों से पता चला कि सिर्फ़ फिनलैंड में रहने वाले लोग ही औसतन 8 घंटे की नींद ले पाते हैं, जबकि जापान के लोग सबसे कम सोते हैं. वे 7 से भी कम घंटे सो पाते हैं, लगभग 6 घंटे 51 मिनट.

 

अमेरिका में लोगों के सोने का औसत लगभग साढ़े 7 घंटे है. वे हर रात 7 घंटे 34 मिनट सोते हैं, वहीं ब्रिटेन में लोगों को सोने के लिए 10 मिनट ही अतिरिक्त मिलते हैं. वे हर रात औसतन 7 घंटे 44 मिनट सोते हैं. जर्मनी में लोगों के सोने का औसत 7 घंटे 39 मिनट है. कनाडा में लोग 7 घंटे 38 मिनट सोते हैं. अमेरिका की फर्म ‘फिटबिट’ द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, जापान के बाद हिंदुस्तान के लोग नींद से सबसे अधिक वंचित हैं. भारतीय लोग सिर्फ़ 7 घंटे 1 मिनट ही सो पाते हैं.


‘स्लो वेव स्लीप’ पर होता है असर

वरिष्ठ डॉक्टर डाक्टर प्रभाकर भूषण मिश्रा बताते हैं, हमारे मस्तिष्क में कई तरह की तरंगे होती हैं, जिनके कारण हम दैनिक प्रतिक्रियाओं के साथ जागने और सोने का काम कर पाते हैं. जब हम गहरी नींद में होते हैं तो डेल्टा वेव का अनुपात काफी बढ़ जाता है और बीटा वेव का अनुपात कम हो जाता है, जिससे हम गहरी नींद सो पाते हैं. हम यदि जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं तो यह इन्हीं तरंगों को प्रभावित करता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है.

जंक फूड में कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैट अधिक मात्रा में होता है. यह हमारे मस्तिष्क में बीटा वेव तरंगों को बढ़ा देता है, जिससे हमें गहरी नींद नहीं आती है. जंक फूड स्लो वेव स्लीप की स्टेज को समाप्त कर देता है. अच्छी नींद के लिए स्लो वेव स्लीप का होना महत्वपूर्ण है. इस स्टेज में मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्रंथि, ग्रोथ हार्मोन का स्राव करती है. यह हार्मोन शरीर में आवश्यकता के हिसाब से मरम्मत करने का काम करता है. यह स्टेज जितनी अधिक देर तक रहती है, शरीर के लिए उतनी ही लाभ वाला होती है. यही कारण है कि जब भी हम गहरी नींद से जागते हैं तो तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं.

रात को हल्का और सुपाच्य भोजन

लखनऊ में केजीएमयू की सीनियर डाइटिशियन शालिनी श्रीवास्तव कहती हैं, जब भी हम जंक फूड खाते हैं तो इससे शरीर में मोटापा बढ़ने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. यह पाचन में भी सरल नहीं होता है. इससे कब्ज की परेशानी होती है और हमारी स्लीप साइकिल प्रभावित होती है. आपको सबसे पहले अपने खाने में परिवर्तन करने की आवश्यकता है. आप जंक फूड का सेवन न करें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं. खाने में नमक और चीनी का कम मात्रा में इस्तेमाल करें.

जब भी आपको भूख महसूस हो तो आप पानी, जूस या नारियल पानी पीएं. कई बार हमें जब भूख लगती है तो हमें पेय पदार्थ पीने की जरूरत होती है. आप नाश्ते में अंकुरित मूंग, चने की चाट बनाकर नींबू के रस के साथ खा सकती हैं. आप सलाद और फल को भी नाश्ते के बाद खा सकती हैं.

भारतीय भोजन, जैसे कि दाल, चावल, रोटी और सब्जी को अहमियत दें. दोपहर के खाने के साथ आप दही या छाछ जरूर लें. आप शाम को भुने चने, मखाने और पॉप कॉर्न को शामिल कर सकती हैं. रात का खाना हल्का और सुपाच्य होना चाहिए. इसमें कम नमक का इस्तेमाल करें और सलाद जरूर लें. मल्टी ग्रेन आटे से बनी रोटी खाएं. खाने के बाद आधा घंटा जरूर टहलें. साथ ही सोने के एक घंटा पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद कर दें.


Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button