स्वस्थ्य खानपान से नींद की कमी वाले लोगों में क्या मधुमेह का खतरा किया जा सकता है कम,जाने…
अध्ययन में पाया गया कि निरोग खानपान अपनाने से भी नींद की कमी के जोखिम को पूरी तरह से कम नहीं किया जा सकता है। शोध के मुख्य शोधकर्ता क्रिश्चियन बेनेडिक्ट का बोलना है कि नींद को अहमियत देना महत्वपूर्ण है, खासकर व्यस्त माता-पिता के लिए।
अध्ययन में कम नींद और टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के बीच के संबंधों की जांच की गई। टाइप 2 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर शुगर को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिससे शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है और लंबे समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अध्ययन में ब्रिटेन के बायोबैंक के डेटा का विश्लेषण किया गया, जो दुनिया के सबसे बड़े जनसंख्या डेटाबेस में से एक है। शोधकर्ताओं ने दस वर्ष से अधिक समय तक लगभग 5 लाख लोगों पर शोध किया।
अध्ययन में पाया गया कि रात में सिर्फ़ तीन से पांच घंटे सोने वाले लोगों में मधुमेह का खतरा अधिक था। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि निरोग खानपान अपनाने से इस खतरे को कम किया जा सकता है, लेकिन जो लोग प्रतिदिन छह घंटे से कम सोते हैं, उनमें निरोग खानपान के बाद भी मधुमेह (Diabetes) का खतरा बना रहता है।
अध्ययन के नतीजे इस धारणा को चुनौती देते हैं कि निरोग खानपान नींद की कमी के कारण होने वाले मधुमेह (Diabetes) के खतरे को पूरी तरह से समाप्त कर सकता है। बेनेडिक्ट ने इस बात पर बल दिया कि समग्र स्वास्थ्य के लिए नींद की किरदार को पहचानना महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बोला कि नींद की कमी का असर पर्सनल कारकों, जैसे कि आनुवंशिकी और पर्सनल नींद की जरूरतों के मुताबिक भिन्न-भिन्न हो सकता है।