Yoga Asanas For Piles: बवासीर को अंग्रेजी में पाइल्स बोला जाता है। यह गुदा के आसपास की नसों में सूजन एवं जलन के कारण होने वाली परेशानी है। इसमें गुदा क्षेत्र में मस्से बनने लगते हैं, जो कि बहुत पीड़ादायक होता है। बवासीर नियमित शौच न होने से कब्ज की कठिनाई के कारण हो सकता है। इसमें खून का आना, जलन और खुजली, गुदा क्षेत्र में मासूलों में सूजन आना लक्षण है। बवासीर की परेशानी को दूर करने के लिए योग लाभ वाला हो सकता है। योग से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, तनाव कम, पेल्विक फ्लोर कम, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, जिससे बवासीर की परेशानी में आराम मिल सकता है।
पाइल्स से राहत पाने वाले योग
उत्तानासन
उत्तानासन के अभ्यास के लिए मैट पर सीधे खड़े होकर लंबी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और दोनों हाथों से जमीन को छुएं। हाथों को नीचे जमीन पर टिकाते हुए पैर के अंगूठे को छूने की प्रयास करें। इस दौरान घुटनों को सीधा रखें। कुछ देर इसी पोजीशन में रहें, फिर हाथ ऊपर ले जाते हुए सांस छोड़ें और सामान्य हालत में खड़े हो जाएं। इस योग से नींद की परेशानी भी दूर होती है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
इस आसन के अभ्यास से हिप्स और जांघ की मांसपेशियों का फैट भी कम होता है। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने के साथ ही कमर की चर्बी कम होती है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के लिए बिस्तर पर पहले दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब शरीर को सीधा रखते हुए बाएं पैर के घुटनों को मोड़ते हुए दाएं पैर को उठाकर बाएं घुटने पर ले लाएं। अब दाएं हाथ की कोहनी को दाएं पैर के घुटने के ऊपर रखें। इसी हालत में रहने के बाद दूसरी तरफ से यह आसन दोहराएं।
मार्जरासन
इस आसन के अभ्यास के लिए दोनों हाथों और घुटने जमीन पर रखते हुए हिप्स के नीचे और कंधे और कुहनियों को एक सीध में रखें। गर्दन और सिर को सीध में रखते हुए मेरुदंड को न झुकने दें। शरीर का भार हथेलियों और घुटनों पर समान रूप से डालते हुए कमर को छत की दिशा में उठाएं। गहरी सांस लें और कमर को ऊपर उठाएं। सिर को छत की दिशा में उठाएं।
बद्ध कोणासन
बद्ध कोणासन के अभ्यास से थकान और तनाव की परेशानी नहीं होती और साइटिका और हार्निया में भी लाभ मिलता है। इस आसन के अभ्यास के लिए पैर सीधा करके बैठ जाएं। तितली आसन की तरह घुटने मोड़कर तलवे को एक दूसरे से स्पर्श करें। घुटनों को नीचे की ओर जमीन छूने तक दबाएं। इस दौरान दोनों पैरों को हाथों से पकड़ें। ध्यान रखें कि शरीर के लचीले होने तक इस आसन को करें।