अंतर्राष्ट्रीय

इजरायल से जंग जैसे हालातों के बीच ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी पहुंचे पाकिस्तान

इजरायल से जंग जैसे हालातों के बीच ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी पाक पहुंचे. पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने बांहे खोलकर स्वागत तो किया लेकिन, पाक के काले मंसूबे सफल नहीं हो पाए. रायसी से चर्चा के दौरान शहबाज ने फिर कश्मीर राग अलापा और हिंदुस्तान के विरुद्ध जहर उगला. वह रायसी से भी हिंदुस्तान के विरुद्ध बयान चाह रहे थे लेकिन, असफल रहे. रायसी ने कश्मीर मसले पर एक शब्द नहीं कहा, केवल गाजा पर बात की. ईरान का यह इस कदम हिंदुस्तान के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत है. ईरान से पहले सऊदी अरब भी कश्मीर पर हिंदुस्तान की संप्रभुता स्वीकार कर चुका है.

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की पाक यात्रा के दौरान कश्मीर मामले पर पाक का समर्थन नहीं करना हिंदुस्तान के लिए एक जरूरी कूटनीतिक जीत है. पाक पीएम शहबाज शरीफ के मंसूबे तब हवा में उड़ गए जब रायसी ने कश्मीर के बजाय केवल इजरायली सेना का कत्लेआम झेल रहे गाजा शहर पर बात की. ईरान के इस हालिया कदम ने कश्मीर राग अलापने वाले पाक की उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया है.

जब शहबाज करने लगे हिंदुस्तान की बुराई, रायसी ने बात तक नहीं की

ईरान ने कश्मीर पर पाक को बुरी तरह झिड़का. ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के साथ पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे. अचानक से शहबाज ने रायसी के सामने कश्मीर का मामला उठा दिया. साथ ही ईरान से मुद्दे में समर्थन भी मांगा. शहबाज ने अपने बयान में बोला कि गाजा में मुस्लिमों के साथ हो रहा अत्याचार असहनीय है. हजारों लोग मारे जा रहे हैं. इसी तरह कश्मीरी भी हिंदुस्तान गवर्नमेंट के जुल्मों को सहन कर रहे हैं.

भारत की कूटनीतिक जीत

कश्मीर पर रायसी की खामोशी ने शहबाज को सन्न कर दिया. रायसी ने गाजा के मामले पर पाक को शुक्रिया जरूर बोला लेकिन, कश्मीर मसले पर एक शब्द नहीं कहा. ईरान का यह कदम न केवल उसके संतुलित दृष्टिकोण दर्शाता है, हिंदुस्तान की कूटनीतिक जीत भी दिखाता है कि कश्मीर उसका आंतरिक मुद्दा है. कश्मीर पर ईरान का कदम सऊदी अरब के हालिया बयान को समर्थन करता है, जिसमें उसने जम्मू और कश्मीर पर हिंदुस्तान की संप्रभुता का समर्थन किया था.

रायसी ने पाक का दौरा क्यों किया

इजराइल के विरुद्ध बन रहे युद्ध जैसे हालात के बीच ईरानी राष्ट्रपति रायसी अचानक से तीन दिनों के लिए पाक पहुंच जाते हैं. ईरान का यह कदम पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए रणनीति के अनुसार है. इस यात्रा का उद्देश्य ईरान और पाक के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारना है, क्योंकि दोनों राष्ट्रों ने पिछले महीने एक-दूसरे की धरती पर कथित आतंकी ठिकानों के विरुद्ध हवाई हमले किए थे.

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