रेलवे अधिकारी लोकोमोटिव इंजनों में काम करने वाले लोगों की सीवीवीआरएस की तीसरी आंख से करेंगे निगरानी
इस सिस्टम के अनुसार इसके लोग रेलवे इंजन चलाते समय 24 घंटे ड्राइवरों के प्रदर्शन पर नजर रखेंगे और उनकी बात भी सुनेंगे. अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित, सिस्टम को ट्रैक के किनारे या छत के किनारे लोकोमोटिव में स्थापित किया जाएगा.
रेलवे बोर्ड ने अपने आदेश में सभी जोनल रेलवे और विनिर्माण इकाइयों को इस संबंध में पहल करने का निर्देश दिया है। आदेश के अनुसार पहले चरण में 5000 क्रू को वीडियो और वॉयस रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाने के लिए बोला गया है। सूत्रों की मानें तो यह सिस्टम हवाई जहाज में लगे ब्लैक बॉक्स की तरह काम करेगा।
सीवीवीआरएस प्रणाली हादसा से पहले की स्थिति, हादसा से पहले संबंधित ट्रेन के चालक की स्थिति और हादसा को रोकने के लिए किस तरह की पहल कर रही थी, इसकी पूरी जानकारी देगी.
एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन प्रारम्भ किया
ऑल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने देशभर में चल रहे रेल इंजनों में लगाए गए सीवीवीआरएस सिस्टम के विरुद्ध विरोध प्रारम्भ कर दिया है. एसोसिएशन के नेताओं का बोलना है कि इस सिस्टम के लगने से कर्मचारियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ेगा।
एसोसिएशन का बोलना है कि पहले से ही ज्यादातर ड्राइवर 12 से 14 घंटे की ड्यूटी करते हैं। इस प्रबंध के कारगर होने के बाद सार्वजनिक चालक को ड्यूटी के दौरान लोगों के बीच से उतरना, कहीं टॉयलेट जाना, सिग्नल न होने पर इंजन से उतरना या ट्रेन के दौरान अपनी सीट पर बैठकर टिफिन खाने पर प्रतिबंध लग जाएगा. दौड़ना क्योंकि जिन जोन या सेक्शन में यह सिस्टम लगाया गया है. वहां पायलटों को ये सभी कारण बताएं।