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समस्त मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्यों एवं अधीक्षकों को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पत्र लिखकर दिया दिशा-निर्देश

 

 

जयपुर, . राज्य गवर्नमेंट ने मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने के कारण विगत दिनों रोगियों को हुई परेशानी के प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए समस्त मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों एवं हॉस्पिटल अधीक्षकों को चिकित्सा सुविधाओं के सुचारू संचालन के लिए गाइड लाइन दिए हैं. साथ ही, हिदायत दी है कि ढिलाई के कारण भविष्य में कोई घटना सामने आती है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधीक्षक की होगी तथा गुनेहगार लोकसेवक के विरूद्ध कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि विगत दिनों एसएमएस हॉस्पिटल में रोगी को गलत गु्रप का ब्लड चढ़ाने, कांवटिया हॉस्पिटल के परिसर में स्त्री का प्रसव होने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को राज्य गवर्नमेंट ने गंभीरता से लिया है. भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए समस्त मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्यों एवं अधीक्षकों को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पत्र लिखकर गाइड लाइन दिए हैं.

ड्यूरी रोस्टर में पारदर्शिता का रखना होगा ध्यान, अधीक्षक करेंगे मॉनिटरिंग
पत्र में बोला गया है कि चिकित्सालयों में ड्यूटी रोस्टर में पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जाए. सभी डॉक्टर रोस्टर के मुताबिक ऑन फ्लोर एवं ऑन कॉल ड्यूटी पर मौजूद रहें. रेजीडेन्ट डॉक्टरों के कार्याें एवं दायित्वों के सुपरविजन के लिए इमरजेंसी, लेबर रूम, आई.सी.यू. जैसे संवेदनशील स्थानों पर फैकल्टी की ड्यूटी जरूरी रूप से लगाई जाए. डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर के मुताबिक सेवाएं दें, इसकी मॉनिटरिंग हॉस्पिटल अधीक्षक के स्तर से की जाएगी. रोस्टर की अवहेलना की स्थिति में प्रिंसिपल एवं नियंत्रक नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.

स्टोर का नियमित निरीक्षण और उपकरणों के नियमित मेंटीनेंस के निर्देश
पत्र में अस्पतालों के स्टोर का नियमित भौतिक निरीक्षण करने, सभी उपकरणों एवं रिएजेन्ट्स की पूरा आपूर्ति के साथ ही उपकरणों एवं जांच मशीनों का नियमित मेंटीनेंस सुनिश्चित करने, ऑक्सीजन प्लांट की क्रियाशीलता की नियमित जांच करने एवं वार्ड, आईसीयू, आपातकालीन आदि में ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि हॉस्पिटल में पानी एवं बिजली की पूरा आपूर्ति हो. जनरेटर एवं पॉवर बैकअप की प्रबंध जरूरी रूप से हो, ताकि बिजली कटौती की स्थिति में जांच-उपचार आदि जरूरी सेवाएं प्रभावित नहीं हो. कूलर, एसी एवं पंखे क्रियाशील हों और उनका पूरा मेंटीनेंस हो.


रेजीडेंट्स से रखना होगा परस्पर संवाद, संवेदनशील स्थानों का औचक निरीक्षण

दिशा-निर्देशों के मुताबिक अस्पतालों में बेहतर व्यवस्थाओं और समन्वय की दृष्टि से प्रिंसिपल एवं नियंत्रक को कॉलेज में कार्यरत डॉक्टरों एवं जूनियर रेजीडेन्ट्स से परस्पर संवाद बनाए रखना होगा. व्यवस्थाओं में सुधार हेतु माह में एक बार जरूरी रूप से उनके साथ बैठक आयोजित की जाएगी. सभी प्रधानाचार्य, अधीक्षक एवं विभागाध्यक्ष वार्ड, आईसीयू, इमरजेंसी, ट्रोमा सेंटर सहित हॉस्पिटल के संवेदनशील स्थानों का रात्रि में औचक निरीक्षण कर मुनासिब प्रबंध सुनिश्चित करेंगे. कोई भी गंभीर प्रकरण होने पर तुरन्त असर से राज्य सरकर के ध्यान में लाए जाने के निर्देश भी पत्र में दिए गए हैं. इन सभी निर्देशों की पालना रिपोर्ट हर माह की 10 तारीख तक जरूरी रूप से चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजनी होगी.

 

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