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14 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के साठ फीसदी किशोर इंटरनेट की लत के शिकार

उदयपुर. आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट्स की बाढ़ आ गई. किशोर इंटरनेट के संपर्क में पहले से अधिक हैं. 22.29 प्रतिशत किशोरों को इंटरनेट की गंभीर लत हैं. जिसके असर से उनकी मानसिक स्थिति पर उल्टा असर पड़ रहा है.

यह निष्कर्ष आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर के अधीन राजकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर डाक्टर अमर यादव के अध्ययन में सामने आया है. पीडियाट्रिक नर्सिंग संकाय में पीएचडी उपाधि प्राप्त डाक्टर यादव ने अपने अध्ययन में 480 किशोरों को शामिल किया था. जिसमें 14 से 16 साल की उम्र वर्ग के साठ प्रतिशत किशोर इंटरनेट की लत के शिकार हैं. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें किशोरियों की संख्या अधिक है. किशोरियां रोजाना 2 से 3 घंटे तथा किशोर किशोर औनलाइन गेम और सोशल मीडिया की लत से घिर चुके हैं. जिससे उनके मानसिक स्थिति पर उल्टा असर पड़ रहा है. इनमें अनिद्रा, समय से भोजन नहीं करना, सिर दर्द, आंखों से पानी बहना, धुंधला दिखाई देना, गर्दन और कंधों में दर्द रहना, बुरे सपने देखना, शारीरिक स्वच्छता पर ध्यान न देना इत्यादि असर पाए गए. मिले.

एडिक्शन की आशंका, अभिभावक रखें ध्यान

डॉ यादव ने कहा कि किशोरावस्था में मोबाइल और कंप्यूटर/लैपटॉप पर इंटरनेट की उपलब्धता उन्हें बहुत सरलता से इंटरनेट तक पहुंच प्रदान करती है. जिससे इंटरनेट एडिक्शन की आसार रहती है. मनोचिकित्सकों का बोलना है कि उनके पास औसतन प्रत्येक दिन पांच से अधिक ऐसे मुद्दे आते हैं जो इंटरनेट की लत के शिकार के चलते दूसरी व्याधियों में घिरे हैं. आईए के नकारात्मक प्रभावों के बारे में विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों को संवेदनशील बनाने की तुरन्त जरूरत है. माता-पिता और अभिभावकों को इस बात पर पूरा ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं?

 

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