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‘अमृतसर के कसाई’ की क्रूरता की एक और कहानी, पढ़ें यहां

Jallianwala Bagh Massacre : आज की तारीख यानी 13 अप्रैल भारतीय इतिहास की सबसे दुखद तारीखों में से एक है. आज ही के दिन ब्रिटिश सेना के अधिकारी जनरल रेजिनाल्ड डायर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया था जिसमें सैकड़ों हिंदुस्तानियों की जान चली गई थी. लेकिन, डायर की ओर से हिंदुस्तानियों के लिए बनाई गई ‘क्रॉलिंग ऑर्डर’ के रूप में सजा ने ब्रिटिश अत्याचारों की एक नयी तस्वीर ही बनाई है. आज जलियांवाला बाग हत्याकांड की 105वीं बरसी है. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि ‘क्रॉलिंग ऑर्डर’ क्या था, इसे क्यों लाया गया था और हिंदुस्तानियों को इससे किस तरह अपमानित किया गया था.

ब्रिटिश मिशनरी मार्सेला पर हुआ हमला

11 अप्रैल 1919 को स्वतंत्रता समर्थक नेता डाक्टर सत्यपाल और सैफुद्दीनव किचलू को अरैस्ट कर लिया गया था. इसे लेकर पंजाब के बाकी शहरों की तरह ही अमृतसर में भी लोग प्रदर्शन कर रहे थे. उस समय मिस मार्सेला शेरवुड नाम की एक अंग्रेज मिशनरी अमृतसर में रहा करती थीं. वह 15 वर्ष से अधिक समय से यहां थीं. जब वह एक संकरी गली से होकर जा रही थीं तब कुछ लोगों ने उन पर धावा कर दिया था. जब उन्होंने वहां से भागने की प्रयास की तो उन पर फिर से धावा हुआ. इसमें मार्सेला गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. फिर कुछ हिंदुस्तानियों ने ही आकर उन्हें बचाया और शुरुआती उपचार के बाद उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया था.

क्या था जनरल डायर का क्रॉलिंग ऑर्डर?

अगली दो सुबह अमृतसर के लिए शांत रहीं. तब ये शहर लाहौर डिविजन के अनुसार आता था. फिर 13 अप्रैल को जो जलियांवाला बाग में जो हुआ उसे पूरी दुनिया जानती है. इसके 6 दिन बाद, 19 अप्रैल को जनरल डायर क्रॉलिंग ऑर्डर नाम का निर्मम नियम लेकर आया जो एक हफ्ते तक चला था. जिस गली में मार्सेला पर धावा हुआ था डायर ने उसके दोनों छोर पर निशान लगवाए और सैनिकों को निर्देश दिया कि किसी को भी इस हिस्से पर चलने न दें. यदि कोई इस गली से होकर जाना चाहता है तो उसे रेंगकर जाना पड़ेगा. डायर ने यह आदेश भी दिया था कि यदि कोई गली से चलकर जाने की प्रयास करे तो उसे कोड़े लगाए जाएं.

सवालों पर क्या कहा था रेजिनाल्ड डायर?

इतिहासकारों का बोलना है कि सबूत बताते हैं कि लोगों को घुटनों के बल नहीं बल्कि पेट के बल रेंगने के लिए विवश किया गया था. 100 से अधिक लोगों का इस अमानवीय ढंग से अपमान किया गया था. जब जलियांवाला बाग नरसंहार को लेकर बनाए गए एक ब्रिटिश आयोग ने डायर से प्रश्न किए थे तो उसने बोला था कि कितने ही भारतीय अपने देवताओं के सामने लेटते हैं हैं, उन्हें उसके (मार्सेला) के आगे भी रेंगना होगा. मैं उन्हें यह समझाना चाहता खा कि एक श्वेत ब्रिटिश स्त्री किसी हिंदू ईश्वर से कम नहीं होती. डायर की ये बातें आर्काइव्स में दर्ज हैं. इन सब से पता चलता है कि हिंदुस्तानियों को लेकर अंग्रेजों की मानसिकता कैसी थी.

 

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