नवरात्र में इस शक्तिपीठ पर श्रद्धालुओं का लगता है जमावड़ा
Jhantala Mata of Chittorgarh : मेवाड़ के शक्तिपीठों में चित्तौड़गढ़ स्थित झांतला माता मंदिर का काफी महत्व है। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर माताजी की पंडोली में स्थित झांतला माता की भक्तों पर असीम कृपा बरसती है।
विशेषकर शारदीय और चैत्र नवरात्रि में बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन करने मंदिर आते है। बोला जाता है कि महाभारत काल से ही माता जी की मूर्ति यहां स्थापित है। आध्यात्म की दृष्टि से मूर्ति को काफी चमत्कारिक कहा जाता है। वैसे तो मां की मूर्ति के दर्शन मात्र से भक्तों की हर तरह की पीड़ा और तकलीफें दूर हो जाती है।
वहीं लकवा बीमारी से ग्रसित मरीजों पर मां की असीम कृपा बरसती है और वे रोग से ठीक हो जाते है। मान्यता है कि मंदिर परिसर में बने आश्रय स्थल में ठहरने और यहां पास ही उपस्थित वटवृक्ष की परिक्रमा लेने से लकवा मरीजों की रोग निश्चित रूप से ठीक हो जाती है।
इसी वजह से प्रदेश ही नही, बल्कि दूर दराज से दूसरे प्रदेशों से लकवे के बीमार परिजनों के साथ झांतला माता के मंदिर आते है, और नवरात्रि के नो दिन मंदिर परिसर में रहकर मां की पूजा अर्चना करते है। माता की कृपा से रोग में बड़ी राहत पाते है। राहत पाने के बाद परिजन मान्यता के आधार पर बीमार पर जिंदा मुर्गे का उतारा कर उसे मन्दिर परिसर में छोड़ कर चले जाते हैं। सालों पुराने माता के मंदिर की चमत्कारी गाथा दूर-दूर तक फैली हुई है।
इसी वजह से केवल नवरात्रि के दिनों में ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष यहां तीमारदारों के साथ लकवा मरीजों की खासी तादाद देखने को मिलती है। इसके अतिरिक्त नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन का महत्व कहा जाता है। इस कारण दूर दराज़ के दूसरे प्रदेशों के अतिरिक्त महानगरों से भी बड़ी संख्या में भक्त परिवार सहित खाने पीने की सामग्री साथ लेकर झांतला माता मंदिर पहुंचते है, और 9 दिनों तक माता की सेवा और दर्शन का फायदा उठाने का कोशिश करते है।