होलिका दहन पर किस मुहूर्त में करें पूजा…
इस वर्ष दशेति 25 मार्च को है और होलिका दहन उससे एक दिन पहले यानी रविवार को 24 मार्च को होगा। इस बार होलिका दहन के समय को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति है क्योंकि यह रात्रि भद्रा काल में हो रहा है और इस दौरान होलिका दहन नहीं किया जाता है इसलिए होलिका दहन के शुभ समय को लेकर संशय है.
भद्रा काल के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करना वर्जित होता है
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भद्रा काल में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है.ज्योतिष में इसे अशुभ काल भी बोला जाता है. शास्त्रों के मुताबिक यह भद्रा ईश्वर सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन है. भद्रा का स्वभाव भी शनि की तरह सख्त और क्रोधी है, इसलिए भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मा ने उसे काल गण या पंचांग के मुख्य भाग विष्टि करण में रखा. इसलिए जब भी भद्रा काल प्रारंभ होता है तो उस समय धार्मिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. आपको यह भी बता दें कि भद्रा पृथ्वी, रसातल और स्वर्ग तीनों लोकों में विचरण करती हैं.
होलिका दहन का समय
होलिका दहन 24 मार्च को होगा, इसके लिए शुभ समय रात 11:15 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा। होलिका दहन के बाद ही रंगों के त्योहार होली का उत्सव प्रारम्भ हो जाएगा. हालांकि इस दिन भद्रा काल भी आ रहा है जिसके कारण होलिका दहन के समय में थोड़ा परिवर्तन किया गया है. इसके बाद घड़ी के मुताबिक शाम 6.30 बजे से 8 बजे तक होलिका दहन का वोट आया है।
इस प्रकार हम होलिका दहन का शुभ समय देखते हैं
होलिका दहन के लिए भद्रा रहित प्रदोषव्यापी पूर्णिमा तिथि सर्वोत्तम मानी जाती है. यदि भद्रा, प्रदोष व्याप्ती पूर्णिमा न हो और भद्रा आधी रात से पहले खत्म हो जाए तो होलिका दहन प्रदोष के बाद जब भद्रा खत्म हो तो करना चाहिए. लेकिन यदि भद्रा आधी रात तक रहती है तो ऐसी स्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है. लेकिन होलिका दहन कभी भी भद्रा मुख में नहीं करना चाहिए. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक भद्र मुख में किया गया होली दहन बुराई का स्वागत करने वाला माना जाता है.