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100 साल बाद होली पर चंद्र ग्रहण, जानें क्या रहेगा इसका प्रभाव

साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को पड़ रहा है और इस दिन होली का त्योहार भी है ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक निश्चित समय के अंतराल पर सूर्य और चंद्र ग्रहण पड़ते हैं इस बार होली पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा वहीं चंद्र ग्रहण के ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है ऐसी स्थिति में होलिका दहन कैसे होगा? होली का पर्व कैसे मनाया जाएगा तो इन्हीं सब प्रश्नों का उत्तर आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण लगने की घटना को शुभ नहीं माना जाता है वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से इसे खगोलीय घटना माना जाता है सूर्य और अथवा चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आने पर चंद्र ग्रहण लगता है इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता इस वजह से ग्रहण के दौरान शुभ कार्य करने की भी मनाही होती है लगभग 100 सालों बाद इस साल होली पर चंद्र ग्रहण का संयोग रहेगा यानी कि ग्रहण के समय में होली मनाई जाएगी सनातन धर्म में होली का पर्व बहुत जरूरी माना जाता है इस वर्ष 25 मार्च को होली है और इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है

होलिका दहन और होली पर नहीं पड़ेगा असर
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि लगभग 100 वर्ष बाद होली पर चंद्र ग्रहण का साया है और 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा भारतीय समय के मुताबिक यह चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से प्रारम्भ होगा जो दोपहर 3 बजकर 02 मिनट तक रहेगा यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसकी कोई धार्मिक मान्यता नहीं होगी यानी इसमें सूतक काल मान्य नहीं होगा ऐसी स्थिति में होलिका दहन और होली पर कोई भी प्रतिबंध नहीं रहेगा इस दिन ग्रहण के नियम भी लागू नहीं होंगे और सारे धार्मिक कार्य किया जा सकते हैं

क्या है उपछाया चंद्र ग्रहण?
साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च दिन सोमवार को लगने वाला है इस बार उपछाया चंद्र ग्रहण लगने वाला है इस तरह के चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का रंग मलिन हो जाता है इस ग्रहण में चंद्रमा का भाग कटा हुआ नजर नहीं आता है इसमें पृथ्वी की सीधी छाया चंद्र पर नहीं पड़ती है इसमें चंद्रमा धुंधला नजर आता है, इसी खगोलीय घटना को उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं

कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
होली के दिन चंद्रग्रहण 25 मार्च को सुबह 10. 30 मिनट से प्रारम्भ होगा जो दोपहर 3. 02 मिनट तक रहेगा यह चंद्र ग्रहण उत्तर-पूर्व एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर जैसी जगहों से दिखाई पड़ेगा लेकिन हिंदुस्तान सहित दक्षिण एशियाई राष्ट्रों में यह नजर नहीं आएगा

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