लाइफ स्टाइल

अगर बच्चे गलती करें तो उन्हें पीटें नहीं बल्कि इस तरह दें सजा

ऐसे कई माता-पिता हो सकते हैं जो अपने बच्चों को छोटी-छोटी बातों के लिए सजा देना पसंद करते हों लेकिन कई बार बच्चों की गलतियां ऐसी होती हैं जिनका उन्हें एहसास कराना महत्वपूर्ण हो जाता है. ऐसे समय में माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को उनकी गलती का अहसास कराने के लिए दी जाने वाली सजा ऐसी हो जिससे बच्चों के कोमल मन को ठेस न पहुंचे और वह सबक उन्हें जीवन भर याद भी रहे. हालाँकि, इन सबके बीच सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चों को दी जाने वाली सज़ा ऐसी होनी चाहिए कि माता-पिता घंटों तक उनके व्यवहार के लिए स्वयं को गुनेहगार न ठहराएँ.

बच्चों को सजा देने के लिए अपनाएं ये तरीका

आइए गलतियाँ करके सीखें

आपके लाख समझाने के बाद भी यदि आपका बच्चा कुछ ऐसा कर रहा है जिससे आपको लगता है कि उसे ठेस पहुंच सकती है तो उसे ऐसा करने दें. अगर वह धूप में नंगे पैर जाने की जिद करता है तो उसे रोकने की बजाय जाने दें. ऐसा करने से उनके पैर सनबर्न हो जाएंगे अगर उसे चोट लगती है तो वह दोबारा ऐसा नहीं करेगा.’ वह बिना जिद किये ही समझ जायेगा. यह सज़ा देने का स्वाभाविक तरीका है जिसमें सज़ा के साथ सिख भी है

संतान के साथ जिद न करें

यह सज़ा खासतौर पर तब दी जाती है जब आप अपने बच्चों से कुछ करने के लिए कहें और वह ऐसा न करें. उदाहरण के तौर पर यदि बच्चा खाने से इंकार करता है तो आप उसके साथ खाने की जिद न करें, खाने की प्लेट उसके सामने से हटा दें. कुछ देर बाद जब बच्चे को भूख लगेगी तो वह आपसे खाना मंगवाएगा और स्वयं खाएगा.

ध्यान मत दीजिए

यह सजा बच्चे को तब दी जाती है जब बच्चा आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए कोई शरारत करता है. जो बच्चे ऐसा करते हैं वे रोते हैं, पैर पटकते हैं, पक्षी बन जाते हैं. इस समय आप अपने बच्चों पर ध्यान देने की बजाय उन्हें व्यस्त रखने के लिए कुछ दें. ऐसा करने से आपका बच्चा समझ जाएगा कि इस तरह के व्यवहार से उसका ध्यान आपकी ओर नहीं जाएगा.

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