Pradosh Vrat in April 2024: जानें प्रदोष व्रत की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…
Pradosh Vrat in April 2024: चैत्र मास के शुक्ल प्रदोष व्रत कब है, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा और व्रत करने पर आदमी के जीवन में खुशियां आती हैं। इतना ही नहीं इस व्रत को जो भी आदमी विधि-विधान और तन-मन-धन से करता है, उसे सौ गाय-दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है और सभी दुःख दूर हो जाते हैं। हर मास में यह व्रत 2 बार रखा जाता है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत में ईश्वर शिव, माता पार्वती के साथ ईश्वर गणेश की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से अप्रैल में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…
प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की आरंभ 20 अप्रैल को रात 10 बजकर 48 मिनट से प्रारम्भ होगी और इसका समाप्ति 21 अप्रैल की मध्य रात्रि 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में 21 अप्रैल को ही प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत में मित्र योग का शुभ संयोग बन रहा है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रदोष व्रत रखा जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी, राशिचक्र का बारहवां नक्षत्र है। उत्तरा फाल्गुनी और मित्र योग में ईश्वर शिव की पूजा करना विशेष बताया जा रहा है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर सही करें।
- फिर ईश्वर शिव का स्मरण करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
- अब ईश्वर शिव को शमी के फूल, धतूरा और बिल्वपत्र चढ़ाएं।
- इसके बाद ईश्वर शिव को सफेद चंदन, कुमकुम का तिलक लगाएं।
- फिर ईश्वर शिव को जलाभिषेक करें और उनके समक्ष धूप दीप जलाकर रखें।
- प्रदोष काल में ईश्वर शिव के साथ माता पार्वती और ईश्वर गणेश का भी पूजन करना चाहिए।
- भगवान शिव और माता पार्वती को फल और मिठाई समेत विशेष चीजों का भोग लगाएं।
- माता पार्वती को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर आरती करें।
पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब
सवाल- आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए क्या करें?
जवाब- यदि आप जीवन में लंबे समय से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो प्रदोष व्रत रखकर शिवलिंग का गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से अभिषेक करें। प्रदोष व्रत पूजा के समय ‘ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः’ मंत्र का जाप करें।
सवाल- प्रदोष व्रत के दिन क्या किया जाता है?
जवाब- प्रदोष व्रत के पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। इस दिन ईश्वर शिव की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें। प्रदोषकाल में ईश्वर शिव का अभिषेक पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए।
सवाल- प्रदोष व्रत के दिन शिव जी को क्या चढ़ाना चाहिए?
जवाब- प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग पर घी, शहद, दूध, दही और गंगाजल अर्पित करें, इस दिन ईश्वर शिव को घी शक्कर और गेहूं के आटे से बना भोग अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
सवाल- प्रदोष व्रत की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
जवाब- प्रदोष व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और आदमी की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत में ईश्वर शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
सवाल- प्रदोष व्रत करने से क्या फल मिलता है?
जवाब- सभी मास के त्रयोदशी तिथि का व्रत करने वाले को सौ गाय-दान करने का फल प्राप्त होता है, इस व्रत को जो विधि-विधान और तन-मन-धन से करता है। जो स्त्री-पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते हैं, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
सवाल- प्रदोष व्रत में ईश्वर शिव को क्या चढ़ाना चाहिए?
जवाब- प्रदोष व्रत के दौरान मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। शिव -पार्वती जी के साथ-साथ श्री गणेश की पूजा करें। ईश्वर भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर आक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप अक्षत, रोली, मिठाई और अन्य पुष्प आदि सभी चीजें अर्पित करें।
सवाल- प्रदोष का महत्व क्या है?
जवाब- प्रदोष व्रत करने वाले आदमी को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जो विधि विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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