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यहां के पेड़ों की रहती है खास डिमांड, मावे की होती है कारीगरी

त्योहार या अवसरों पर रेसिपी के तौर पर पेड़ा परोसा जाता है ज्यादातर घरों पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती हैं पेड़ा मिठाइयों में अत्यधिक पसन्द किया जाता है इसके अतिरिक्त यह एक व्रत रेसिपी भी है, जो नवरात्रि या किसी पर्व आदि अन्य व्रतों में बनाई जाती है रामपुर का प्रसिद्ध पेड़ा सन 1965 से अपनी मिठास दे रहा है अमेरिका, रूस, लंदन, सऊदी तक इस पेड़े के लोग दीवाने हैं

रामपुर से बाहर जाने वाले लोगों से इस पेड़े की खास डिमांड की जाती है इस शॉप पर सुबह नौ बजे से रात बारह बजे तक पेड़े मिलते हैं हर तीन घंटे में पेड़ा बनाकर तैयार किया जाता है आमतौर पर पेड़ा अन्य मिठाइयों से लंबे समय तक चलता है यह शीघ्र खराब भी नहीं होता मुमताज स्वीट्स पर सही मावे से तैयार किये गए पेड़े का सेवन आप 15 दिनों बाद भी कर सकते हैं यही विशेषता है कि रामपुर का पेड़ा दूर-दराज तक फेमस है

मुमताज भाई कहते हैं कि मैं गारंटी से कहता हूं कि पूरे उत्तर प्रदेश में कोई भी हलवाई मेन्युफेक्चरिंग खोए का पेड़ा तैयार नहीं करता हम पेड़ा बनाने के लिए विशेष रूप से घर के दूध से खोया बनाकर तैयार करते हैं उसके बाद पांच किलो मावे में एक किलो शक्कर डालकर उसको धीमी आंच पर कलर आने तक भूनते हैं इससे खोए से बने पेड़े बहुत ही नरम और टेस्टी बनते हैं

शुद्धता का रखा जाता है विशेष ध्यान
मुमताज भाई बताते हैं कि पेड़ों की शुद्धता के कारण ही आज हमारे यहां के पेड़े की राष्ट्र ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बहुत पसंद किए जाते हैं इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला दूध उनके घर में पाली जाने वाली भैंस के दूध से तैयार किया जाता है आज भी उसी दूध का इस्तेमाल होता है महज 200 रुपये किलो मिलने वाला पेड़ा आज डिमांड के चलते 200 से बढ़कर 450 रुपये के करीब है

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