वीवीपैट के साथ डाले गए वोटों के सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की बेंच के सामने उपस्थित ईसीआई अधिकारी ने ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली के बारे में कहा था. उससे पहले उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की निंदा करने वालों की आलोचना की थी. न्यायालय ने बोला था कि राष्ट्र में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में हमें सिस्टम को पीछे की तरफ नहीं ले जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में उस समय का भी जिक्र किया, जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे और मतपेटियां लूट ली जातीं थी.
सुप्रीम न्यायालय ने कही थी ये बात
सुप्रीम न्यायालय ने एनजीओ एडीआर द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की थी. दरअसल, याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में डाले जाने वाले वोट का सौ प्रतिशत वीवीपैट मशीन के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाए, ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने ठीक वोट दिया है.
याचिका में बोला गया कि कई यूरोपीय राष्ट्र भी ईवीएम का इस्तेमाल कर फिर से बैलेट पेपर से मतदान पर लौट चुके हैं. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने बोला कि राष्ट्र में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय राष्ट्र ऐसा नहीं कर सकता.
चुनाव आयोग से पूछा था सवाल
पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह से बोला कि वह न्यायालय को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी मौजूद कराए, जिसमें ईवीएम के काम करने, उसे स्टोर करने संबंधी सारी जानकारी दें. न्यायालय ने चुनाव आयोग के वकील से ये भी पूछा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के गुनेहगार को सजा का क्या प्रावधान है?
याचिकाओं में क्या दावा?
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने इल्जाम लगाया कि दो सरकारी कंपनियों हिंदुस्तान इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया के निदेशक बीजेपी से जुड़े हुए हैं. एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक उसे लेकर कोई उत्तर नहीं दिया है. दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कई याचिकाकर्ताओं ने अपने विचार न्यायालय के सामने रखे थे.