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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपनी एकल-न्यायाधीश पीठ के पिछले आदेश में हस्तक्षेप करने से किया इनकार

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपनी एकल-न्यायाधीश पीठ के पिछले आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी द्वारा बीजेपी विधायकों पर विधानसभा परिसर में राष्ट्रगान का अपमान करने के लगाए गए इल्जाम की कोलकाता पुलिस की किसी भी जांच पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी.

मामले में पुलिस जांच पर रोक का आदेश जस्टिस जय सेनगुप्ता की बेंच ने पिछले वर्ष दिसंबर में दिया था. हालांकि, पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ का रुख किया था. खंडपीठ ने सोमवार को मुद्दे की सुनवाई की, लेकिन हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और मुद्दा उसी एकल-न्यायाधीश पीठ को वापस भेज दिया.

यह घटना 29 नवंबर को हुई थी, जब सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व में काली शर्ट पहने तृणमूल विधायक विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुसार राज्य गवर्नमेंट को केंद्रीय धन जारी नहीं करने के विरुद्ध विधानसभा परिसर के भीतर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

विरोध प्रदर्शन के अंत में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों का एक समूह विधानसभा परिसर में पहुंचा और विरोध प्रदर्शनों की ओर इशारा करते हुए चोर शब्‍द चिल्लाया.

मुख्यमंत्री ने स्पीकर से कम्पलेन की कि बीजेपी विधायक अपमानजनक नारे लगा रहे थे, जबकि सत्ता पक्ष के विधायक राष्ट्रगान गा रहे थे. बाद में तीन तृणमूल विधायकों ने मुद्दे में कम्पलेन दर्ज कराई, जिसके बाद मध्य कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने की पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की और जांच प्रारम्भ की.

 

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